Published 27th June 2024
इक्विटी और डेट दो प्रमुख एसेट क्लास हैं. इक्विटी में उतार-चढ़ाव ज़्यादा होता है लेकिन ग्रोथ की संभावनाएं भी अच्छी होती हैं. वहीं, डेट में स्थिरता ज़्यादा होती है और रिटर्न का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है.
ज़रूरत के हिसाब से सही एसेट एलोकेशन पर पहुंचने के लिए आपको पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी और डेट का सही मिक्स तय करना चाहिए. आप इनमें क्यों निवेश कर सकते हैं? जानिए इसकी 3 वजह
Debt ETF का मकसद सिर्फ संबंधित इंडेक्स को कॉपी करना होता है, इसलिए सक्रिय तौर पर मैनेज हो रहे दूसरे समकक्ष की तुलना में डेट सिक्योरिटीज में निवेश करने का ये किफायती तरीका है.
ट्रेडिंग आसान होने की वजह से डेट ETF ख़रीदना और बेचना सुविधाजनक है. पार्टिसिपैंट्स डिमांड और सप्लाई के आधार पर एक्सचेंज पर यूनिट ख़रीदते और बेचते हैं. इससे ETF की फेयर वैल्यू सुनिश्चित होती है
एक ETF में निवेश करते समय आपको पहले से पता होता है कि आपकी रक़म किन सिक्योरिटीज़ में निवेश की जाएगी. वहीं, डेट ETF एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं और निवेशकों को रियल टाइम प्राइस पता चलता है.