Published: 14th Nov 2024
By: Value Research Dhanak
मोटे तौर पर भारी भरकम डिविडेंड देने वाले स्टॉक्स निवेश के लिए अच्छे माने जाते हैं. लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है?
भारी डिविडेंड देने की वजह, कंपनी की अंदरूनी समस्याएं हो सकती हैं. जिससे स्टॉक में गिरावट आ सकती है. इसलिए सावधान रहें! सिर्फ़ ज़्यादा डिविडेंड के मुक़ाबले अच्छी क्वालिटी और स्थिरता ज़्यादा अहम है.
डिविडेंड इन्वेस्टिंग का असली मक़सद रेग्युलर इनकम पाना है. लेकिन हर साल ख़र्च बढ़ने के साथ इस इनकम का बने रहना ज़रूरी होता है. इसलिए, डिविडेंड-ग्रोथ इनवेस्टिंग अहम है, जिससे आपको डिविडेंड इनकम से बढ़ते ख़र्च को पूरा करने में मदद मिलती है.
इसकी प्रक्रिया आसान है. उन कंपनियों को पहचानें जो लगातार लंबे समय तक डिविडेंड पेमेंट और उसमें बढ़ोतरी कर सकती हैं. और, ऐसी ही कंपनियों में निवेश करें.
– अच्छी क्वालिटी वाली कंपनियां: डिविडेंड का बेहतर इतिहास और प्रतिस्पर्धा की क्षमता. – कम पे-आउट रेशियो: ग्रोथ की कोशिश हो और डिविडेंड बढ़ाए. – मध्यम यील्ड: ज़्यादा यील्ड से बचें, क्योंकि इससे स्टॉक्स के मुश्किल में होने के संकेत मिलते हैं. कम क़र्ज़: डिविडेंड को कमाई से दिया जाना चाहिए, न कि क़र्ज़ से.
– पिछले 10 साल के दौरान, हर साल प्रति शेयर डिविडेंड बढ़ाया है. – 10 साल का मीडियन डिविडेंड पेआउट रेशियो 22% बनाए रखा है. – आख़िरी बात, कंपनी पर क़र्ज़ बहुत कम है. अगर स्टॉक में किसी ने 10 साल पहले ₹1 का निवेश किया होता, जो आज वो बढ़कर ₹16 हो गए होते!