सेंसेक्स ने हाल में पहली बार 70,000 का स्तर छूआ. हालांकि, बाज़ार के रिकॉर्डहाई पर पहुंचने के साथ निवेशकों के मन में सवाल उठने लगता है कि क्या पैसे निकाल लेने चाहिए?
वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार के मुताबिक़, बाज़ार का अनुमान लगाना एक मुश्किल काम है. वैल्युएशन के साथ अगर कमाई नहीं बढ़ती है, तो वैल्युएशन ज़्यादा लगने लगता है.
धीरेंद्र कुमार का कहना है कि अगर शेयर बाज़ार में तेज़ी के साथ-साथ भारतीय कंपनियों की कमाई बढ़ती है, तो संभव है कि वैल्युएशन सही हो.
अगर दो-तीन साल में रक़म की ज़रूरत है तो अभी से पैसे निकालना शुरू करना चाहिए, लेकिन पैसा एक बार में न निकालें. पैसा सिस्टमेटिक तरीक़े से तय अवधि में निकालना चाहिए.
अगर निवेश का लक्ष्य लंबे समय का है तो एसेट एलोकेशन स्ट्रैटेजी अपनानी चाहिए. इक्विटी और फ़िक्स्ड इनकम में बैलेंस बनाएं और बैलेंस बिगड़ने पर रीबैलेंसिंग करें.
लेकिन बाज़ार से सारी रक़म निकाल कर, बाज़ार के गिरने का इंतजार, ख़तरनाक हो सकता है. तेज़ी जारी रहने पर आपके लिए बाज़ार में दोबारा एंट्री मुश्किल हो सकती है.