Unit Linked Insurance Plan (यूलिप) हाइब्रिड प्रोडक्ट कहलाते हैं, क्योंकि इनमें बीमा और निवेश दोनों के फ़ायदे होते हैं. ये जीवन बीमा के साथ निवेश की सुविधा भी देते हैं.
फ़ंड का चुनाव पॉलिसी-धारक के ऊपर छोड़ दिया जाता है. ULIP में इक्विटी और डेट दोनों तरह के फ़ंड का विकल्प होता है. साथ ही, इक्विटी और डेट दोनों के मिले-जुले फ़ंड का ऑप्शन भी होता है.
जब तक प्रीमियम जा रहा है और पॉलिसी एक्टिव है, तब तक सम अश्योर्ड की गारंटी होती है. जीवन बीमा महंगाई से सुरक्षा की गारंटी नहीं देता, क्योंकि बीमा फ़िक्स-कवर और तय समय के लिए होता है.
न्यूनतम राशि का सम-अश्योर्ड/ डेथ-बेनिफ़िट की गारंटी होती है. प्रीमियम भी पॉलिसी के दौरान फ़िक्स रहता है, क्योंकि रिटर्न मार्केट से लिंक होते हैं. इसलिए रिटर्न की गारंटी नहीं होती.
ULIP अपने पांच साल के लॉक-इन पीरियड के बाद लिक्विड फ़ंड होते हैं. लिक्विडिटी पाने के लिए यूनिट रिडीम किए जाते हैं. ये वही यूनिट होती हैं, जिनके लिए आपने प्रीमियम भरा होता है.
ULIP में पॉलिसी समय से पहले सरेंडर कर सकते हैं, या फिर पॉलिसी खत्म होने से पहले ही पैसे भी निकलवा सकते हैं. मगर, दोनों ही स्थितियों में पॉलिसी धारक को कुछ पैसा गंवाना पड़ता है.
आप पॉलिसी पर लोन भी ले सकते हैं, हालांकि ये इस बात पर निर्भर करेगा कि पॉलिसी कितनी पुरानी है, उसकी तय-राशि कितनी है, या लोन के लिए आवेदन करते समय फ़ंड की वैल्यू क्या है?
दिए गए प्रीमियम पर, सेक्शन 80सी के तहत, एक वित्त वर्ष में ₹1.5 लाख तक की धनराशि पर टैक्स छूट मिलती है. डेथ क्लेम के मामले में, मेच्योरिटी पर मिलने वाली रक़म टैक्स फ़्री रहती है.
आमतौर पर 3 तरह के ULIP होते हैं जिनके प्रकार, उनके फ़ायदों के आधार पर होते हैं. ये यूलिप टाइप I, टाइप II और पेंशन यूलिप (ULPPs) कहलाते हैं.
बीमा के लिए सिर्फ़ टर्म-कवर लें, तो कम पैसे देने होंगे. इसमें रिटर्न न मिले तो भी बेहतर कवरेज मिलेगा. इक्विटी में निवेश करते हैं तो ULIP की मंहगी पॉलिसी की कीमत भी बचा सकते हैं.