Tax Deducted at Source इनकम टैक्स का एक दूसरा रूप है. ये सैलरी, FD या किसी निवेश पर मिलने वाले ब्याज़ जैसी इनकम के अलग-अलग सोर्स पर लागू होता है. सरकार TDS के ज़रिए टैक्स वसूलती है.
सैलरी में, समय से पहले EPF निकालने पर, FD पर मिलने वाले ब्याज़, बीमा कंपनी की मेच्योरिटी पर TDS लागू होता है. साथ ही, कुछ अन्य सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ पर TDS लागू होता है.
सैलरी की बात करें तो लागू इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार TDS कटता है. वहीं, FD के मामले में, मेच्योरिटी पर एक लिमिट से ज़्यादा इंटरेस्ट पर 10% TDS कटता है.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने TDS रिफंड की सुविधा दी है. इसके लिए आपको ITR फ़ाइल करना होता है और बैंक में फ़ॉर्म 15G जमा करना होगा. फिर, बैंक सारी डिटेल टैक्स डिपार्टमेंट को दे देता है.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपकी डीटेल वेरिफ़ाई करता है और फिर TDS में काटी गई रक़म छह महीने बाद मिल सकती है. आप इसकी जानकारी ऑनलाइन भी देख सकते हैं.
अगर TDS कट रहा है तो आपको कुछ बातें मालूम होनी चाहिए. फ़ाइनेंशियल ईयर में काटे गए TDS की दर, ITR फ़ाइल करने की लास्ट डेट और TDS पेमेंट की लास्ट डेट ऐसी ही अहम बातें हैं.