इन दिनों म्यूचुअल फ़ंड इंडस्ट्री में Stress Test की ख़ासी चर्चा है. हम यहां बता रहे हैं कि स्ट्रेस टेस्ट क्या है और म्यूचुअल फ़ंड कंपनियां इसे करने के लिए क्यों मजबूर हैं.
पिछले कुछ समय से मिड कैप और स्मॉल कैप फंड्स के बेहतर प्रदर्शन की वजह से रिटेल इन्फ़्लो का बड़ा हिस्सा ऐसे फ़ंड्स में आ रहा है. ये रक़म लार्ज कैप फंड्स के मुकाबले काफ़ी बड़ी है.
SEBI चेयरपर्सन के मुताबिक़, कुछ मिड कैप और स्मॉल कैप सेगमेंट की वैल्युएशन ख़ासी बढ़ गई है. इसीलिए, SEBI और AMFI के बीच चर्चा के बाद ये टेस्ट करने का फैसला लिया गया है.
स्ट्रेस टेस्ट के जरिए देखा जाएगा कि बाज़ार क्रैश होने पर या भारी उतार-चढ़ाव के बीच क्या स्मॉल और मिड कैप फंड रिडेम्शन की रिक्वेस्ट से बिना किसी परेशानी के निपट सकते हैं?
स्ट्रेस टेस्ट के जरिये SEBI ये भी देखना चाहता है कि क्या जोख़िम और फंड्स की रणनीतियों में कोई संबंध सामने आ रहा है. टेस्ट के नतीजे से कुछ संकेत मिले हैं.
जिन स्कीम में स्मॉल कैप स्टॉक्स एक सीमा तक हैं और फ़ंड साइज ज़्यादा नहीं है, वहां स्ट्रेस कम है. असल में स्ट्रेस का सीधा संबंध पोर्टफोलियो में स्मॉल कैप स्टॉक्स की सीमा से भी है.