केंद्र सरकार द्वारा स्थापित, PPF टैक्स बचाने के साथ-साथ लंबे समय की बचत के फ़ायदे देता है, जो भविष्य के लिए सिक्योर इनकम का ज़रिया बनती है.
PPF के सरकार द्वारा समर्थित होने से कैपटिल की सुरक्षा तो मिलती है मगर ये महंगाई दर से नहीं बचाता, जिससे घटती-बढ़ती दर के दौर में असल रिटर्न पर असर पड़ता है.
PPF की ब्याज़ दर G-sec रेट से जुड़ी होती है और इसके 0.25% के दायरे में रहती है, जिसे हर तिमाही पर रिव्यू किया जाता है. मौजूदा रेट: 7.10% है जो सालाना कंपाउंड होता है.
15-साल के लॉक-इन पीरियड के बावजूद , PPF में लोन और आंशिक रूप से पैसे निकालने की सहूलियत के चलते लिक्विडिटी रहती है, हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें होती हैं.
इसमें टैक्स-फ़्री डिपॉज़िट और मेच्योरिटी पर मिलने वाले पैसे पर कोई टैक्स नहीं देना होता, क्योंकि इसका EEE स्टेटस है. सेक्शन 80C के तहत आपको हर साल ₹1.5 लाख की टैक्स छूट भी मिलती है.
इसे आप पोस्ट-ऑफ़िस, बैंक में ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स के साथ खोल सकते हैं और इस अकाउंट को पे-इन स्लिप, पासबुक या ऑनलाइन बैंकिंग के ज़रिए ऑपरेट कर सकते हैं.
आपको समय से पहले अकाउंट बंद करने से जुड़ी पेनल्टी और स्ट्रैटजी की टिप समझनी चाहिए ताकि आप लंबे समय के दौरान PPF में निवेश के मिलने वाले फ़ायदों को ज़्यादा से ज़्यादा पा सकें.
इसके लिए एलिजिबल होने शर्त से लेकर टेन्योर और निवेश सीमा तक, PPF के ज़रूरी पहलुओं को देखें.