Mutual Fund: फ़्रंट रनिंग क्या है? निवेशकों को कैसे होता है नुक़सान?

Mutual Fund: फ़्रंट रनिंग क्या है? निवेशकों को कैसे होता है नुक़सान?

Published 25th June 2024

क्वांट AMC के मामले में जांच शुरू

क्वांट AMC से जुड़ी SEBI की जांच शुरू होने के बाद फ़्रंट-रनिंग का मामला ख़ासा सुर्खियों में है. हम यहां समझा रहे हैं कि फ़्रंट-रनिंग क्या है और इससे निवेशकों को कैसे नुक़सान पहुंचता है. 

ब्रोकर के ज़रिए सौदे करते हैं म्यूचुअल फ़ंड

Mutual Fund हाउस ब्रोकर के माध्यम से स्टॉक ख़रीदते और बेचते हैं, जिन्हें डीलर के रूप में जाना जाता है. अगर डीलर को पता है कि कोई फ़ंड हाउस ऑर्डर देने वाला है, तो फ़्रंट रनिंग को अंजाम दिया जाता है 

कैसे होती है फ़्रंट-रनिंग

Mutual Fund कंपनी के ऑर्डर की जानकारी मिलने पर डीलर कंपनी के शेयर पहले ही ख़रीद/बेच लेता है, तो इसका मतलब है कि वो अनुचित तरीक़े से पैसा कमा सकता है. इसे ही फ़्रंट रनिंग कहते हैं. 

समझिए तरीक़ा

अगर, डीलर को पता चलता है कि कोई फ़ंड कंपनी A के शेयर ख़रीदने वाला है. वो कंपनी A के शेयर ₹100 में ख़रीदेगा. बाद की तारीख़ में, डीलर फ़ंड के लिए A के शेयर ख़रीदेगा. शेयर बढ़ने पर डीलर को फ़ायदा होगा. 

निवेशकों को ऐसे होगा नुक़सान

यदि डीलर फ़ंड हाउस की ओर से निवेश करने से पहले शेयर की क़ीमत बढ़ाता है, तो म्यूचुअल फ़ंड में निवेशक के रूप में आप नुक़सान में रहेंगे. SEBI ऐसी गतिविधियों को अंजाम देने वाली संस्थाओं पर शिकंजा कस रहा है.