By: Abhijeet Pandey
Published 05 June 2024
कट-ऑफ़ टाइम से ही स्कीम की यूनिट्स की NAV तय होती है. जब आप म्यूचुअल फ़ंड स्कीम में निवेश करते हैं तो NAV के आधार पर पर यूनिट मिलती हैं. फ़ंड से पैसे निकालने के दौरान भी यही तरीक़ा अपनाया जाता है.
NAV का एलोकेशन इस पर निर्भर करता है कि आपने फ़ंड हाउस के पास पैसा और आवेदन कब जमा किया है. म्यूचुअल फ़ंड की दुनिया में इसे ही कट-ऑफ़ टाइम कहते हैं.
लिक्विड, डेट और इक्विटी फ़ंड के लिए अलग-अलग कट ऑफ़ टाइम है. इसमें निवेशक को स्कीम की यूनिट्स का अलॉटमेंट उसी दिन मिलती है जिस दिन उसने एप्लीकेशन दी होती है.
लिक्विड फ़ंड के लिए कट-ऑफ़ टाइम दोपहर दो बजे तक होता है. अगर इससे पहले लिक्विड फ़ंड में निवेश करते हैं तो NAV का अलॉटमेंट एक दिन पहले के कट-ऑफ़ टाइम यानी NAV के मुताबिक़ होता है.
इक्विटी और दूसरे डेट फ़ंड्स के लिए कट-ऑफ़ टाइम 3 बजे तक होता है. अगर निवेशक अपना आवेदन दोपहर 3 बजे से पहले जमा कर देते हैं तो उनको उसी दिन के हिसाब से NAV अलॉट की जाती है.
कट-ऑफ़ टाइम के बाद एप्लीकेशन जमा करने पर आपको दूसरे दिन के NAV के आधार पर यूनिट मिलती हैं. वहींं, लिक्विड फ़ंड में कट ऑफ़ टाइम से पहले पैसा भेजने की ज़रूरत नहीं होती है.