FY24 के शुरुआती 11 महीनों में आर्बिट्राज फ़ंड में ₹91,114 करोड़ का भारी नेट इनफ़्लो देखा गया. अकेले दिसंबर 2023 और फ़रवरी 2024 के बीच, इन फ़ंड्स में ₹32,761 करोड़ का नेट इनफ़्लो रहा.
आर्बिट्राज फ़ंड स्टॉक वैल्यू के अंतर से मुनाफ़ा कमाते हैं. अगर, स्टॉक A की BSE पर ₹500 और NSE पर ₹505 का है. आर्बिट्राज फ़ंड BSE से स्टॉक ख़रीदकर NSE पर ₹5 के मुनाफे पर बेच सकता है.
इसकी वर्तमान और भविष्य की क़ीमतों में अंतर हो सकता है. मिसाल के लिए, स्टॉक A की मौजूदा क़ीमत ₹200 है, लेकिन वायदा बाज़ार में ये ₹210 है. इससे वो ₹10 का रिस्क-फ़्री मुनाफ़ा कमा सकेगा.
पिछले 12 महीनों में, औसत आर्बिट्राज फ़ंड ने लिक्विड फ़ंड के 7.07 फ़ीसदी के मुक़ाबले में 7.33 फ़ीसदी रिटर्न दिया है. 25 आर्बिट्राज फंड्स में से 18 ने 8 फ़ीसदी से ज़्यादा रिटर्न दिया.
आर्बिट्राज फ़ंड इक्विटी-ओरिएंटेड फ़ंड की तरह माने जाते हैं. इन पर डेट फ़ंड की तुलना में कम टैक्स लगता है.
आर्बिट्राज फ़ंड्स को कैश-फ़्यूचर के स्प्रेड से फ़ायदा होता है. ये प्रसार या स्प्रेड किसी स्टॉक के नक़द मूल्य और फ़्यूचर के बाज़ार मूल्य के बीच का अंतर होता है.
ये फ़ंड आमतौर पर तीन महीने से एक साल तक के लिए ठीक होते हैं. हालांकि, इसी जैसे रिटर्न वाले लिक्विड फ़ंड इस समय सीमा में निवेश करने वाले ज़्यादातर निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हैं.