Passive Fund में करना चाहते हैं निवेश, तो जान लीजिए 3 रिस्क 

Published: 23rd Aug 2024

By: Value Research Dhanak

पैसिव म्यूचुअल फ़ंड्स का AUM 10 लाख करोड़  से ज़्यादा

तेजी से आगे बढ़ रही भारत की पैसिव म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है. जून 2024 तक इन फंड्स का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ₹10 लाख करोड़ के स्‍तर को पार कर ₹10.2 लाख करोड़ तक पहुंच गया है.

पैसिव फ़ंड क्या हैं?

What is Passive Fund: पैसिव म्यूचुअल फ़ंड निफ़्टी या सेंसेक्स जैसे मार्केट इंडेक्स की नकल करते हैं. ये फ़ंड चुनिंदा मार्केट इंडेक्स से जुड़े विकल्पों में उतना ही निवेश करते हैं, जितने अनुपात में उनकी हिस्सेदारी संबंधित इंडेक्स में होती है.

रिस्क नंबर 1- ख़राब परफ़ॉर्मेंस

आप मार्केट इंडेक्स से ज़्यादा रिटर्न पाने का मौका खो देते हैं. एक्टिवली मैनेज्ड स्कीम्स में फ़ंड मैनेजर का मुख्य लक्ष्य आपको ब्रॉड मार्केट इंडेक्स के मुकाबले ज़्यादा रिटर्न पाने में मदद करना है. जबकि, पैसिव फ़ंड में ऐसा नहीं है.

रिस्क नंबर 2- कम लचीलापन

मार्केट में गिरावट के दौरान, फ़ंड मैनेजर को मार्केट में गिरावट के असर को कम करने के लिए फ़ंड के पोर्टफ़ॉलियो में एलोकेशन को बदलने का विकल्प नहीं मिलता. इसलिए, ये फ़ंड अपने फ़ंड मैनेजर को कोई लचीलापन नहीं देते हैं.

रिस्क नंबर 3- ट्रैकिंग एरर्स

जब इंडेक्स फ़ंड की बात आती है तो ट्रैकिंग एरर्स एक अहम जोख़िम हैं. इन एरर के चलते, किसी फ़ंड के बेंचमार्क को ट्रैक करने से जुड़ी सटीकता में कमी आती है.