Published: 20th Feb 2025
अगर आप निवेशक हैं या शेयर बाज़ार में दिलचस्पी रखते हैं, तो आपने 'EBITDA' ज़रूर सुना होगा. लेकिन क्या ये आपको असली मुनाफे़ और कंपनी के प्रदर्शन के बारे में सही जानकारी देता है? आइए इसे समझते हैं.
EBITDA का मतलब है "Earnings Before Interest, Taxes, Depreciation, and Amortization" यानी ब्याज, टैक्स, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की इनकम. ये किसी कंपनी की असली ऑपरेशनल ताक़त को बताता है, और निवेशकों के लिए बेहद ज़रूरी है.
EBITDA दिखाता है कि कंपनी अपने रोज़मर्रा के कामों से कितना कमा रही है, बिना ब्याज और टैक्स जैसी चीजों को गिनें. इससे हम ये समझ सकते हैं कि कंपनी कितना मुनाफ़ा कमा रही है.
EBITDA कैलकुलेट करना आसान है – आपको कंपनी के कुल मुनाफ़े, ब्याज , टैक्स , मूल्यह्रास (Depreciation) और परिशोधन (Amortization) को जोड़ना है. उदाहरण से समझें: अगर कुल मुनाफ़ा ₹50 करोड़ है और बाक़ी खर्च ₹30 करोड़ हैं, तो EBITDA ₹80 करोड़ होगा.
EBITDA से हम समझ सकते हैं कि कंपनी के ऑपरेशन कितने मज़बूत हैं. बैंक और निवेशकों के लिए ये एक अहम पैमाना है, क्योंकि इससे वे कंपनी की असल ताक़त और कैश फ़्लो को समझ पाते हैं.
ये कंपनी के कैश फ़्लो (cash flow) को बेहतर तरीके़ से समझने में मदद करता है. ये एक सरल तरीक़ा है या जानने का कि कंपनी अपने रोज़मर्रा के ऑपरेशन से कितना मुनाफ़ा कमा रही है.
मान लीजिए, दो कंपनियां एक ही क्षेत्र में काम कर रही हैं, लेकिन एक भारत में है और दूसरी अमेरिका में. EBITDA इन दोनों के ऑपरेशनल प्रदर्शन को एक समान आधार पर दिखाता है, जिससे आप बिना टैक्स के असर को समझ पाते हैं.
चार्ली मंगर, एक दिग्गज निवेशक, EBITDA को ‘bullshit earnings’ मानते हैं. उनका कहना है कि यह कंपनी के असली ख़र्चों को नज़रअंदाज करता है, जिससे निवेशक भ्रमित हो सकते हैं.
अगर आप एक निवेशक हैं, तो EBITDA आपकी मदद कर सकता है कंपनी की ऑपरेशनल ताक़त समझने में, लेकिन असली मुनाफ़ा जानने के लिए आपको नेट प्रॉफ़िट और कैश फ़्लो पर ध्यान देना होगा.
EBITDA एक अच्छा मीट्रिक हो सकता है, लेकिन ये केवल एक पहलू दिखाता है. असल में कंपनी की हेल्थ की पूरी तस्वीर जानने के लिए आपको नेट प्रॉफ़िट, फ़्री कैश फ़्लो, और कर्ज़ की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए.
अब जब आप समझ गए हैं कि EBITDA एक उपयोगी मीट्रिक है, लेकिन इसमें सीमाएं भी हैं, तो अगली बार इसे सही तरीके़ से समझकर निवेश करने का फ़ैसला लें.
ये स्टोरी सिर्फ़ जानकारी के लिए है. किसी भी निवेश से पहले अपनी रिसर्च ज़रूर करें और फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र से सलाह लें.