Published on: 4th Apr 2025
2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा एलान कर दिया, जिसने ग्लोबल ट्रेड और ख़ासकर भारतीय बाज़ार को हिलाकर रख दिया. उन्होंने भारत से होने वाले इंपोर्ट पर 26% का भारी-भरकम टैरिफ़ लगाने का ऐलान किया. इस ख़बर ने बाज़ार में हलचल मचा दी और कुछ ही घंटों में निवेशकों की भावनाएं लड़खड़ा गईं.
ये टैरिफ़ ट्रंप की उस नई मुहिम का हिस्सा है, जिसे उन्होंने 'रिसीप्रोकल टैरिफ़' नाम दिया है. इसके तहत अमेरिका अब अपने सभी ट्रेड पार्टनर्स पर 10% का बेसलाइन टैरिफ़ लागू करेगा. ताकि, उन देशों से आने वाले सामान महंगे हो जाएं और अमेरिका का ट्रेड घाटा थोड़ा संतुलित हो सके.
भारत के लिए ये टैरिफ़ किसी झटके से कम नहीं था. ख़ासकर टेक्सटाइल, ऑटो और मैन्युफै़क्चरिंग जैसे सेक्टर्स, जो अमेरिका पर भारी मात्रा में डिपेंड करते हैं, उन्हें सीधा नुक़सान उठाना पड़ा. नतीजा ये हुआ कि निफ़्टी 50 कुछ ही घंटों में 23,192 पॉइंट तक गिर गया और सेंसेक्स 76,153 के स्तर पर लुढ़क गया.
एनलिस्ट का कहना है कि इतना बड़ा टैरिफ़ ग्लोबल ट्रेड की चाल को बदल सकता है. इससे न केवल कॉर्पोरेट कमाई पर असर पड़ सकता है, बल्कि भारत जैसी इमर्जिंग इकोनॉमीज़ की ग्रोथ पर भी ब्रेक लग सकता है.
इसी बीच फ़ार्मा सेक्टर ने सबको चौंका दिया. जब बाक़ी सेक्टर्स गिरावट में थे, तब फ़ार्मा स्टॉक्स में शानदार तेज़ी देखने को मिली. इसकी वजह ये रही कि फ़ार्मा इंडस्ट्री को कुछ समय के लिए इस टैरिफ़ से छूट मिल गई. इसी राहत के कारण निवेशकों ने फ़ार्मा स्टॉक्स की ओर रुख किया और डॉ. रेड्डीज़ और ग्लैंड फ़ार्मा जैसे शेयरों में अच्छी ख़रीदारी देखी गई.
फ़ार्मा सेक्टर को हमेशा से एक 'डिफे़ंसिव प्ले' माना जाता है. यानि, जब बाक़ी सेक्टर गिरते हैं, तब भी ये अपेक्षाकृत स्थिर रहते हैं. दवाइयों की ग्लोबल डिमांड बनी रहती है और अमेरिका जैसे देशों में इसकी सप्लाई ज़रूरी है. ऊपर से टैरिफ़ से मिली छूट ने इस सेक्टर को और भी मज़बूती दी, जिससे निवेशकों को यहां एक सेफ़ ज़ोन नज़र आया.
बाज़ार में हर सेक्टर एक जैसा रिएक्ट नहीं करता. ग्लोबल घटनाएं अलग-अलग सेक्टर्स को अलग तरह से प्रभावित करती हैं. इसीलिए ज़रूरी है कि निवेशक अपने पोर्टफ़ोलियो को डायवर्सिफ़ाइड बनाएं और एक ही सेक्टर पर निर्भर न रहें.
ऐसे समय में घबराने के बजाय समझदारी से काम लेना ज़रूरी होता है. लॉन्ग टर्म सोच रखने वाले निवेशकों को छोटे झटकों से विचलित नहीं होना चाहिए. साथ ही, जो कंपनियां फ़िलहाल गिरावट में हैं, वे भविष्य में अच्छे मौके़ भी दे सकती हैं. निवेश करते वक्त पॉलिसी न्यूज़ पर नज़र रखें, लेकिन हर हलचल पर ओवररिएक्ट न करें.
ये निवेश की सलाह नहीं बल्कि जानकारी के लिए है. अपने निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें.