PSU के बारे में धीरेंद्र कुमार का मानना है कि PSU बहुत ही ख़तरनाक सेगमेंट है. क्योंकि किसी चीज़ की सरकार मालिक हो तो ये अपने आप में सबसे बड़ा ख़तरा है.

PSUक्यों है रिस्की?

अगर गवर्नमेंट ओनर है किसी चीज़ की तो हम टाटा कंपनी को प्रीमियम देते है. हम किसी और कंपनी को डिस्काउंट देते हैं या किसी और कंपनी को प्रीमियम देते हैं.

प्रीमियम की मार 

हम किसी और कंपनी को डिस्काउंट देते हैं. तो अगर सबसे ज़्यादा डिस्काउंट किसी ओनर को देना चाहिए तो सरकार को देना चाहिए जो कि बहुत ही ठीक है.

गवर्नमेंट को देना चाहिए डिस्काउंट

सरकार भी समझ गई कि ये हमें लोग थोड़ा हल्के में ले रहे हैं. हमें  कुछ बदलाव करना चाहिए. तो आप देख सकते हैं कि 10 साल से PSU के लिए सरकार का रुख़ बदला है.

गवर्नमेंट समझ गई है लोगों का मन

PSU के बारे में लोगों को थोड़ा ये ख्याल रखना चाहिए कि PSU में सुधार हुआ है. इनके ऑपरेटिंग पैरामीटर इंप्रूव हुए हैं. PSU को थोड़ा बेहतर तरीक़े से चलाया जा रहा है.

लोगों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए

आपने देखा होगा कि बीते चार-पांच साल में रातों रात बहुत सारे पब्लिक सेक्टर बैंक गायब हो गए. मर्ज होकर के ये बैंक बड़ी एंटिटी बन गए. उनका NPA का स्केल बिल्कुल अलग हो गया तो ये माना जा सकता है की बदलाव तो हो रहा है.

बड़े बदलाव की ओर PSU

बदलाव पर ग़ौर करें तो अब ये कितना बड़ा बदलाव है, कितना सस्टेनेबल है, ये थोड़ा बारीकी से देखना चाहिए. यानी, थोड़ा बहुत PSU आपके पोर्टफ़ोलियो में हो तो अच्छा ही है.

PSU का पोर्टफ़ोलियो में होना अच्छा हैं?

आपके देखने का नज़रिया वही होना चाहिए, जो किसी भी कंपनी के लिए होना चाहिए. जैसे क्या कंपनी बढ़ रही है, पैसा बना रही है. इस नज़रिये को अपनाकर फ़ैसला करें.

नज़रिया मायने रखता है

PSU को पोर्टफ़ोलिओ में शामिल करते वक्त इस बात को समझिए की क्या ये कोई कॉम्पिटिटिव एडवांटेज है या ये तुक्का है और बहुत महंगा मत ख़रीदिए.

इसे बात को समझिए