Published: 08th July 2024
NSC एक फ़िक्स्ड इनकम सेविंग प्लान है, जो पोस्ट ऑफ़िस द्वारा चलाया जाता है. NSC में पांच साल के लिए निवेश किया जाता है, जबकि शुरुआती चार सालों में मिला ब्याज़ ख़ुद ही री-इन्वेस्ट यानी फिर से निवेश हो जाता है.
NSC पर मिला ब्याज़ टैक्स फ़्री नहीं होता है. इसे हर साल निवेशक की इनकम जिस पर टैक्स लागू होता है, उसमें जोड़ा जाता है. निवेशक पर लागू स्लैब के अनुसार ही NSC के ब्याज़ पर टैक्स लगता है.
NSC पर मिला ब्याज़ अपने-आप दोबारा निवेश हो जाता है. और हर साल इसे मूलधन (मूल निवेश) में जोड़ दिया जाता है.
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स के दायरे में आने वाली इनकम को डिडक्शन के तौर पर क्लेम किया जा सकता है. लेकिन ध्यान रहे कि सेक्शन 80C का लाभ ₹1.5 लाख तक ही सीमित है.
5वें साल में मेच्योरिटी के समय ब्याज़ के साथ पूरी रक़म निवेशक को दे दी जाती है. अगर इसे दोबारा इन्वेस्ट नहीं किया जाता है तो इस पर टैक्स लगता है.