म्यूचुअल फ़ंड का साइज़ मायने नहीं रखता  

Published: 22nd Aug 2024

By: Value Research Dhanak

लंबे समय से, ये आम धारणा रही है कि बड़े फ़ंड बेहतर होते हैं. आख़िर कितना सच है ये?

कब चुनना चाहिए छोटा फ़ंड?

निवेशक अक्सर मानते हैं कि म्यूचुअल फ़ंड का साइज़ अहम होता है. इसका कोई वास्तविक आधार नहीं है. अगर एक छोटे फ़ंड का उसी तरह के बड़े फ़ंड की तुलना में बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड है, तो हर हाल में छोटा फ़ंड चुनना चाहिए.

फ़ंड्स बेचने वालों की भूमिका

बेशक़, निवेशक सिर्फ़ विश्वास के आधार पर 'बड़ा होना अच्छा है' नहीं मानते, बल्कि इसलिए भी ऐसा समझते हैं क्योंकि बड़े फ़ंड्स बेचने वाले इस विश्वास को बढ़ावा देते हैं. इससे उन्हें अपने फ़ंड को आगे दिखाने के ज़्यादा मौक़े मिल जाते हैं.

कैसे फ़ंड बड़े होते जाते हैं?

जिन फ़ंड्स का अच्छे प्रदर्शन का लंबा ट्रैक रिकॉर्ड होता है, वे बड़े होते जाते हैं क्योंकि ज़्यादा से ज़्यादा निवेशक उनमें पैसा डालते हैं. और, इस पैसे को बढ़ने में लंबा समय लगने लगता है. यानी, वे अच्छे थे, इसलिए वे बड़े हो गए. हालांकि, इसका उलटा सच नहीं है.

अच्छा और ख़राब फ़ंड

आप यूं ही एक बड़ा फ़ंड नहीं चुन कर नहीं कह सकते कि क्योंकि ये बड़ा है तो अच्छा ही होगा. इसी तरह, अच्छे प्रदर्शन वाले छोटे फ़ंड को चुन कर ये नहीं कह सकते कि आपको इसमें निवेश नहीं करना चाहिए क्योंकि ये छोटा है.

ट्रैक रिकॉर्ड को देखिए

कुल मिला कर इसका सार ये है कि जहां कुछ फ़ैक्टर साइज़ से प्रभावित होते हैं, वहीं कई दूसरे नहीं होते. सभी बातों पर विचार करने के बाद, निवेशकों को ज़्यादा ध्यान इस पर देना चाहिए कि ट्रैक रिकॉर्ड क्या है और उनके अपने निवेश लक्ष्यों के लिए क्या सही है और क्या नहीं.