टारगेट मेच्योरिटी फ़ंड पैसिव तौर से मैनेज होने वाले ओपन एंडेड डेट फ़ंड होते हैं. इनकी मेच्योरिटी की तारीख़ पहले से तय होती है.
मेच्योरिटी तक निवेश बनाए रखने पर निवेशक को ब्याज़ दर में उतार-चढ़ाव के रिस्क से सुरक्षा मिल जाती है. यील्ड-टू-मेच्योरिटी (YTM) से संभावित रिटर्न के संकेत मिल जाते हैं.
मौजूदा परिदृश्य में ब्याज़ दरें ऊंचें स्तर पर हैं, इसलिए Target Maturity Funds में निवेश करना सही है. इन स्कीम्स में तभी निवेश करें, जब वो आपकी निवेश की अवधि से मेल खाती हों.
इनमें निवेशकों को लागत के औसत होने का फ़ायदा मिलता है. इसका मतलब है कि जब मार्केट में उतार-चढ़ाव आता है तो निवेशकों को अलग-अलग क़ीमतों पर यूनिट मिलती हैं.
टारगेट मेच्योरिटी फ़ंड एक डेट फ़ंड है. और, इक्विटी फ़ंड की तुलना में डेट फ़ंड में ख़ासा कम उतार-चढ़ाव होता है. टारगेट मेच्योरिटी फ़ंड में निवेश का पहला लक्ष्य रेट लॉक-इन करना है.
ये लेख/ म्यूचुअल फ़ंड में ध्यान रखने वाली बातों की जानकारी देने के लिए है. इसे निवेश की सलाह न समझें.