Published: 1st March 2025
क्या हुआ जब सेंसेक्स ने एक दिन में 1,400 अंक गवां दिए? इस ड्रामेटिक ड्रॉप के पीछे की कहानी को उजागर करते हैं. ताकि. आप समझ सकें कि बाज़ार के इस व्यवहार का आपकी फ़ाइनेंशियल स्थिति पर क्या असर पड़ सकता है.
इस हफ़्ते भारतीय शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव की एक नई लहर देखने को मिली. विस्तार से जानते हैं कि निफ्टी और सेंसेक्स में इतनी बड़ी गिरावट की खास वजह क्या रही हैं.
ग्लोबल ट्रेड वॉर्स और इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में उथल-पुथल ने वैश्विक बाजार को प्रभावित किया है. भारतीय बाज़ार भी इसकी चपेट में आया, जहां निवेशकों ने अस्थिरता के डर से भारी बिक़वाली की.
अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव तथा यूरोपीय देशों पर नए टैरिफ्स ने निवेशकों में जोखिम को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है, जिसका सीधा असर भारतीय बाज़ारों पर पड़ा है.
भारत के फ़ाइनेंशियल ग्रोथ रेट में आई गिरावट और कॉर्पोरेट इनकम में स्थिरता की कमी से निवेशकों की निराशा का माहौल बना है.
फ़ाइनेंशियल ग्रोथ को बढ़ाने के लिए सरकार और RBI ने रेट कट और टैक्स रिलीफ़ जैसे क़दम उठाए. पर क्या ये क़दम बाज़ार की अस्थिरता को शांत कर पाएंगे?
रुपये की गिरती क़ीमत ने न केवल इंपोर्ट को महंगा कर दिया है बल्कि विदेशी कर्ज़ का बोझ भी बढ़ाया है. इसका असर किन-किन सेक्टर पर पड़ा है, आइए जानते हैं.
उथल-पुथल भरे बाज़ार में भी आप कैसे सुरक्षित और समझदारी से निवेश कर सकते हैं? लंबे समय का प्लान और डायवर्सिफ़िकेशन की अहमियत को समझें.
बाज़ार की गिरावट एक मौक़ा भी ला सकती है. अच्छी कंपनियों के शेयर ख़रीदने का सही समय क्या है और इससे कैसे फ़ायदा उठाया जा सकता है.
मार्केट डाउन हो, तो क्या करें? घबराएं नहीं, क्योंकि हर गिरावट आपके लिए नए मौक़ा भी लेकर आती है. अपनी निवेश नीतियों को समझदारी से चुनें और लंबे समय फ़ायदों पर ऩजर रखें.
ये स्टोरी सिर्फ़ जानकारी के लिए है. किसी भी निवेश से पहले अपनी रिसर्च ज़रूर करें और फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र से सलाह लें.