Published: 28th July 2024
By: Dhanak Value Research
Intraday Trading में एक ही दिन में फ़ाइनेंशियल एसेट्स को ख़रीदा और बेचा जाता हैं. इसमें ट्रेडर्स का गोल कम समय में वैल्यू में उतार-चढ़ाव का फ़ायदा उठाना और बाज़ार के उतार-चढ़ाव के मुताबिक़ मुनाफ़ा कमाना है.
Intraday Trading और Stock Market इनवेस्टमेंट में ख़ासाअंतर है. इंवेस्टिंग उसे कहते हैं जहां पैसों को थोड़े लंबे समय के लिए लगाते हैं और उस डिपॉजिट्स पर कुछ रिटर्न कमाते हैं. लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग में सबकुछ एक दिन में होता है. यानी ‘बाय’ और ‘सेल’ का खेल.
SEBI की रिपोर्ट के मुताबिक़ फ़ाइनेंशियल ईयर 19-23 के बीच 10 में से सात इंट्राडे ट्रेडर्स को घाटा हुआ है. इतना ही नहीं, रिपोर्ट में इंट्राडे ट्रेडिंग से जुड़े चौंकाने वाले आंकड़े भी सामने आए हैं.
फ़ाइनेंशियल ईयर 19 और फ़ाइनेंशियल ईयर 23 के बीच, इंट्राडे ट्रेडर्स की संख्या में 4.6 गुना बढ़ोतरी हुई है. यानी, Intraday Trading करने वालों तादाद 2018-19 के मुकाबले तीन गुना ज़्यादा हो गई है.
FY-23 छोटे ट्रेडर्स की में कुल इंट्राडे ट्रेडर्स में हिस्सेदारी बढ़कर 56% हो गई, जबकि FY-19 में ये आंकड़ा 27% के पर था. ग़ौर करने की बात ये है कि बॉटम के 78% ट्रेडर्स, जिनमें सभी छोटे ट्रेडर शामिल हैं, कुल इंट्राडे टर्नओवर में केवल 1% का योगदान करते हैं.
बाज़ार में मौजूदा तेज़ी के बावजूद, इंट्राडे ट्रेडर्स का नुक़सान जारी है. FY-23 में केवल 29% इंट्राडे ट्रेडर्स ने मुनाफ़ा कमाया, जो FY-19 में 35% से कम था. इसमें बस फ़ायदा हो रहा है तो सरकार और एक्सचेंजों को. इंट्राडे ट्रेडर्स को हुए नुक़सान में ट्रेडिंग कॉस्ट की हिस्सेदारी 57% रही है.