एक जैसे म्यूचुअल फ़ंड्स, फिर भी एक पोर्टफ़ोलियो ने ज़्यादा कमाई कैसे की? 

Published on: 26th Mar 2025

एक जैसे पोर्टफ़ोलियो, फिर भी एक में ज़्यादा पैसे क्यों?

आपने कभी सोचा है कि जब दो लोग एक जैसे फ़ंड में और एक जैसी SIP में निवेश करते हैं, तो उनके रिटर्न में फर्क क्यों आता है? आइए जानते हैं, उस एक छोटे से बदलाव के बारे में जिसने एक पोर्टफ़ोलियो को दूसरे से बेहतर बना दिया.

एक जैसी शुरुआत, फिर भी फ़र्क!

लगभग 10 साल पहले, मेरे माता-पिता ने म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश करना शुरू किया था. दोनों ने एक जैसे फ़ंड चुने और एक जैसी SIP शुरू की. फिर भी, आज मेरी मां के पोर्टफ़ोलियो में पिताजी से कहीं ज़्यादा पैसे हैं. क्या हुआ था, जो उनकी शुरुआत एक जैसी थी, लेकिन नतीजे अलग थे?

क्या था वो राज़?

मैं हैरान था और यही सवाल मेरे मन में था,अगर दोनों का निवेश एक जैसा था, तो फ़र्क क्यों आया? एक दिन मां ने मुझे समझाया,निवेश सिर्फ़ इस बारे में नहीं है कि तुम कहां पैसा लगाते हो, बल्कि यह भी ज़रूरी है कि तुम कैसे, कब और कितनी सावधानी से निवेश करते हो.

छोटे बदलाव बड़े फ़र्क ला सकते हैं!

माँ के इस बयान ने मुझे सोने नहीं दिया. मुझे एहसास हुआ कि उनकी निवेश की आदतें पिताजी से थोड़ी अलग थीं. उन छोटे-छोटे बदलावों ने उनके पोर्टफ़ोलियो को बेहतर बना दिया था. इस पूरे राज़ को जानने के बाद मैंने सोचा,क्या हो अगर हम यह छोटे बदलाव जान लें और इन्हें अपनी निवेश स्ट्रैटेजी में शामिल कर लें?

डायरेक्ट स्कीम – बड़े फ़ायदे का छोटा क़दम

पहला बड़ा बदलाव था कि मां ने डायरेक्ट स्कीम में निवेश किया था. पिताजी ने रेग्युलर स्कीम्स चुनी थीं, जो थोड़ी महंगी होती हैं. डायरेक्ट स्कीम का एक बड़ा फ़ायदा यह है कि इनका ख़र्च (expense ratio) कम होता है, और ये आपको ज्यादा रिटर्न देता है. इससे मां को हर साल पिताजी के मुक़ाबले ज़्यादा रिटर्न मिला.

1% का फ़र्क पर बड़ा असर

आप सोच रहे होंगे कि डायरेक्ट स्कीम में निवेश करने से क्या फ़र्क पड़ा होगा? ये फ़र्क 1% का था. भले ही ये छोटा सा लगता हो, लेकिन लंबे समय में 1% ज़्यादा रिटर्न साल दर साल बढ़ता जाता है. और यही फ़र्क धीरे-धीरे बड़े मुनाफे़ में बदल गया.

हर साल SIP रक़म बढ़ाना 

दूसरा बड़ा बदलाव था – SIP बढ़ाना. मां ने हर साल अपनी SIP रक़म में 5% बढ़ोतरी की. पिताजी ने कभी इसे बढ़ाया नहीं. यही कारण था कि उनकी SIP ने कम समय में ज़्यादा ग्रोथ हासिल की.

5% की बढ़ोतरी ने कैसे किया कमाल?

हर साल 5% की बढ़ोतरी का मतलब था कि मां का पोर्टफ़ोलियो तेज़ी से बढ़ा. भले ही शुरुआत में फ़र्क थोड़ा कम नज़र आता हो, लेकिन लंबे समय में यह फ़र्क काफ़ी बड़ा हो गया. दरअसल, नियमित बढ़ोतरी की आदत ने उनके निवेश को एक नया मुक़ाम दिलाया.

मार्केट गिरने पर भी SIP को जारी रखना

तीसरा बड़ा बदलाव था – मार्केट के उतार-चढ़ाव के दौरान SIP को जारी रखना. जब मार्केट गिरते थे, पिताजी घबराकर अपनी SIP रोक देते थे. उन्हें लगता था कि जब बाज़ार ठीक होगा, तब फिर से निवेश करेंगे. लेकिन मां ने कभी भी अपनी SIP रोकी नहीं, चाहे बाज़ार कैसा भी हो.

बाजार गिरने पर मां को हुआ फ़ायदा

मार्केट में गिरावट के दौरान मां को ज़्यादा यूनिट्स मिलीं. जब बाज़ार फिर से बढ़ा, तो वही यूनिट्स बढ़ गए और उन्हें ज़्यादा मुनाफ़ा हुआ. जबकि पिताजी ने मार्केट के अच्छे रिटर्न से चूक गए, क्योंकि उन्होंने अपनी SIP रोक दी थी.

कभी-कभी SIP को रोकना भी मजबूरी बन जाती है

क्या तुमको 2021 याद है? पिताजी ने कहा. उस समय उन्हें कुछ ज़रूरी खर्चे थे और SIP रोकनी पड़ी. लेकिन फिर, उसी समय बाजार तेज़ी से बढ़ा और वे उस बढ़ोतरी से चूक गए. माँ को कभी ऐसी परिस्थितियां नहीं आईं, जो उनके निवेश को रोकने की वजह बनीं.

नतीजा: छोटे फैसले, बड़े रिटर्न!

ये साफ़ हो गया कि सही समय पर निवेश के छोटे फै़सले लंबे समय में बड़ा अंतर ला सकते हैं. डायरेक्ट स्कीम में निवेश, SIP बढ़ाना, और मार्केट के उतार-चढ़ाव में निवेश जारी रखना – ये सब छोटे-छोटे फै़सले हैं, जो आपकी फ़ाइनेंशियल गोल को एक नई दिशा दे सकते हैं.

Disclaimer:

ये निवेश की सलाह नहीं बल्कि जानकारी के लिए है. अपने निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें.