रेपो रेट में कटौती: FD और डेट फ़ंड में निवेश - कौन सा विकल्प आपके लिए सही है?

Published on: 11th Apr 2025

रेपो रेट में कटौती का असर

RBI ने 9 अप्रैल, 2025 को रेपो रेट को 6% तक घटाया. इस बदलाव का असर निवेश के विकल्पों, जैसे FD और डेट फ़ंड पर पड़ेगा. आइए, जानते हैं कौन सा विकल्प आपके लिए सही है!

FD vs डेट फ़ंड: कौन सा बेहतर?

नए वित्तीय वर्ष में यह सवाल उठता है: यदि आप सुरक्षित और स्थिर रिटर्न चाहते हैं, तो FD और डेट फ़ंड में से कौन सा बेहतर है?

FD के फ़ायदे

सुरक्षा: बाज़ार के उतार-चढ़ाव से सुरक्षित. – निश्चित रिटर्न: पहले से तय ब्याज दर. – लचीलापन: 7 दिन से 10 साल तक की अवधि. लोन की सुविधा: FD के 90% तक लोन.

FD के नुक़सान

कम रिटर्न: रेपो रेट कट के बाद कम ब्याज दर. – लॉक-इन: पैसे तय अवधि तक बंधे रहते हैं. टैक्स: ब्याज पर टैक्स लगता है, जिससे रिटर्न घट सकता है.

डेट फ़ंड के फ़ायदे

स्थिर रिटर्न: कम जोखिम, अच्छे रिटर्न. – पूंजी सुरक्षा: लिक्विड और शॉर्ट-टर्म डेट फ़ंड कम जोखिम वाले. – तरलता: जल्दी पैसे निकाल सकते हैं. ब्याज दर का फ़ायदा: रेपो रेट घटने से बॉन्ड की क़ीमतें बढ़ सकती हैं.

डेट फ़ंड के नुक़सान

ब्याज दर जोखिम: रेपो रेट बढ़ने से रिटर्न घट सकते हैं. – क्रेडिट जोखिम: कंपनी डिफ़ॉल्ट हो सकती है. – कम रिटर्न: इक्विटी से कम रिटर्न. टैक्स: शॉर्ट-टर्म गेन पर टैक्स लगता है.

कौन सा चुनें?

FD: यदि आप जोखिम से बचना चाहते हैं और निश्चित रिटर्न चाहते हैं. डेट फ़ंड: अगर आप थोड़ा जोखिम ले सकते हैं और बेहतर रिटर्न की तलाश में हैं.