भारत के प्रमुख शहरों में पिछले 7 सालों में रियल एस्टेट ने 7-10.3% का एवरेज सालाना फ़ायदा दिया है.
ये रिटर्न लोकेशन के आधार पर अलग हो सकता है और इसमे टैक्स और मेंटेनेंस बिल जैसे खर्च भी होते हैं.
सेंसेक्स ने उसी समय सीमा में 14% का शानदार रिटर्न दिया है. वहीं, प्रॉपर्टी का मालिक होने के नाते कई सिरदर्द भी होते हैं. जैसे- सही किरायेदार ढूंढना, रखरखाव और अतिक्रमण का डर.
फ़ाइनेंशियल ऐसेट्स की तरह रियल एस्टेट में रोज़ ट्रेड नहीं किया जाता है, जो कि बाज़ार में हो रहे उतार-चढ़ाव के बीच मानसिक शांति बनाए रखता है.
मगर उतार-चढ़ाव के बावजूद फ़ाइनेंशियल ऐसेट, रियल एस्टेट की तुलना में बेहतर रिटर्न दे सकते हैं.
किसी प्रॉपर्टी का मालिक होना ख़ास तौर से फ़ाइनेंशियल से ज़्यादा ईमोशनल हो सकता है, तरह- तरह की चिंताएं लगी रहती है.
अगर आपके पास घर है, तो लॉन्ग-टर्म के लिए फ़ाइनेंशियल ऐसेट्स में निवेश करने पर विचार करें. जिससे दोनों तरह से आपको बेहतर मुनाफ़ा मिल सकता है.
प्रॉपर्टी बेचने पर 20% लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स लगता है, तो अपना पैसा म्यूचुअल फ़ंड में ट्रांसफ़र कर दें क्योंकि वो आमतौर पर लॉन्ग-टर्म के लिए फ़ायदेमंद साबित होता हैं.