Published: 24th Feb 2025
जब आप कुछ समय तक प्रीमियम भरते हैं और फिर बंद कर देते हैं, तो पॉलिसी पेड-अप स्थिति में आ जाती है. ये विकल्प तब फ़ायदेमंद हो सकता है जब आगे प्रीमियम भरना मुश्किल हो.
रोहन ने 6 साल तक लगातार प्रीमियम भरा लेकिन कुछ फ़ाइनेंशियल स्थिति के कारण प्रीमियम भरना बंद कर दिया. इस स्थिति में उसकी पॉलिसी पेड-अप हो गई है, जिससे वो आंशिक कवरेज पर निर्भर हो जाता है.
पेड-अप वैल्यू की कैलकुलेशन कैसे होती है? अगर रोहन ने 6 साल प्रीमियम भरा है और पॉलिसी 20 साल की थी, तो पेड-अप रक़म होगी (6/20) × ₹10 लाख = ₹3 लाख.
अगर रोहन पॉलिसी की मैच्योरिटी तक जीवित रहता है, तो उसे ₹10 लाख की बजाय सिर्फ़ ₹3 लाख ही मिलेंगे. जिससे उसके फ़ाइनेंशियल गोल पर असर पड़ सकता है.
क्या रोहन अपनी पॉलिसी को फिर से ऐक्टिव कर सकता है? हां, ज़्यादातर इंश्योरेंस कंपनियां आपको तय समय के अंदर पॉलिसी को फिर से चालू करने की अनुमति देती हैं.
पेड-अप पॉलिसी अक्सर अपने सरेंडर वैल्यू से ज़्यादा वैल्यू रखती है. हालांकि, अगर आपके पास ज़्यादा समय है और दूसरे निवेश के विकल्प बेहतर रिटर्न दे सकते हैं, तो सोच-समझकर समझदारी से निवेश के विकल्प पर विचार करें.
अगर आपके परिवार का कोई सदस्य आप पर आर्थिक रूप से निर्भर है, तो ये पक्का करना ज़रूरी है कि उनके लिए पर्याप्त आर्थिक सुरक्षा मौजूद हो.
पेड-अप पॉलिसी के साथ उससे जुड़े विकल्प को समझना और अपने फ़ाइनेंशियल गोल के मुताबिक़ सही फ़ैसला करना बेहद ज़रूरी है.
ये स्टोरी सिर्फ़ जानकारी के लिए है. किसी भी निवेश से पहले अपनी रिसर्च ज़रूर करें और फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र से सलाह लें.