NPS की त्रासदी 

Published: 27th Aug 2024

By: Value Research Dhanak

नया यूनीफ़ाइड पेंशन सिस्टम दो दशकों के दौरान नेशनल पेंशन सिस्टम के खोए हुए अवसरों का नतीजा है.

रिटायरमेंट पेंशन में गारंटी

सरकार ने हाल में यूनिफ़ाइड पेंशन सिस्टम नाम की एक नई स्कीम की घोषणा की है, जो केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए बने NPS का एक संशोधन है. इससे सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट पेंशन में गारंटी वापस आ गई है.

NPS का अंत!

सिद्धांतिक स्तर पर, ये नई गारंटीकृत पेंशन वैकल्पिक है, और कर्मचारी NPS को भी चुन सकते हैं. मगर व्यावहारिक नज़रिए से देखें, तो सरकारी कर्मचारियों के लिए, NPS का अंत हो चुका है.

…लेकिन शानदार है NPS

NPS शानदार ढंग से काम करता है, मगर सिर्फ़ तब, जब धन का बड़ा हिस्सा इक्विटी में निवेश किया गया हो. असल में, अगर भारतीय इकोनॉमी की भारी ग्रोथ को शेयर बाज़ारों के ज़रिए NPS और फिर पेंशन में डाला जाता, तो पेंशन कहीं ज़्यादा होती.

सेंसेक्स से समझिए

2004 में, जब नए सरकारी कर्मचारियों को NPS में शामिल किया गया था, तब सेंसेक्स क़रीब 2,000 पर था. आज, ये लगभग 80,000 पर है. मगर पेंशन के मामले में ये सब बर्बाद और बेकार रहा.

कौन है दोषी?

अगर कोई इस बात के बुनियादी कारणों का विश्लेषण करता है कि ये सब क्यों हुआ, तो मौजूदा राजनीति की दशा और सरकारी कर्मचारियों की मानसिकता को भी इसका दोष मिलना चाहिए.  

ये है सबक़

इससे सबक़ साफ़ है: NPS एक बेहतरीन रिटायरमेंट सिस्टम है, लेकिन ज़्यादा से ज़्यादा लाभ पाने के लिए, लंबे समय तक इक्विटी के हिस्से को अधिकतम रखना चाहिए. बेशक़, यही बात हर लंबे समय के निवेश पर लागू होती है, न कि सिर्फ़ NPS पर.