Non-convertible debentures: NCD ऐसा फाइनेंशियल इंस्ट्रुमेंट है, जिसे जारी करके कंपनियां पैसा जुटाती हैं. NCD दो तरह के होते हैं- 1) सिक्योर्ड और 2) अनसिक्योर्ड
इसमें कंपनी के डिफॉल्ट होने का ख़तरा नहीं होता है. कंपनी की तरफ से पैसा वापस नहीं मिलने पर इन्वेस्टर्स कंपनी की एसेट बेचकर अपना पैसा वसूल सकते हैं.
अनसिक्योर्ड NCD सुरक्षित नहीं होते हैं. लिहाज़ा सिक्योर्ड की तुलना में इसमें जोखिम होता है. अगर कंपनी निवेशकों को उनका पैसा लौटा नहीं पाती है तो ऐसे में निवेशकों के लिए पैसा लेना मुश्किल हो सकता है.
इसमें एक तय ब्याज़ दर की पेशकश की जाती है. NCD एक फ़िक्स्ड पीरियड के लिए होता है. मेच्योरिटी पर निवेशकों को ब्याज के साथ मूल रक़म मिलती है. निवेश से पहले 3 बातें रखें ध्यान…
किसी भी कंपनी के NCD में निवेश के पहले उस कंपनी की स्ट्रेंथ समझ लें. उस कंपनी के बिजनेस मॉडल को समझें कि वो कितना टिकाऊ है.
NCD में पैसे लगाने से पहले ये पता कर लें कि NCD सिक्योर्ड है या नहीं. सिक्योर्ड NCD में निवेश करते हैं तो निवेशकों को कंपनी के एसेट बेचकर पैसे वसूल सकते हैं.
NCD में निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट,1961 के सेक्शन 80C के तहत छूट नहीं मिलती है.
ये लेख/पोस्ट सिर्फ़ जानकारी देने के लिए है, इसे हमारी सलाह न समझें.