हर Mutual Fund एक New Fund Offer के तौर पर शुरू होता है. ये NFO एक ऑफ़र है, जहां लोग पैसा लगाते हैं, और फ़ंड तैयार होने जाने के बाद फ़ंड मैनेजर निवेश शुरू करता है.
क्योंकि NFO एक नई शुरुआत है, इसलिए इसमें आप सिर्फ़ ये जानते हैं कि कौन आपका पैसा मैनेज कर रहा है. आप सिर्फ़ फ़ंड के दावे की स्ट्रैटेजी पर पैसा लगाते हैं, उसके ट्रैक रिकॉर्ड पर नहीं.
NFO के विपरीत म्यूचुअल फ़ंड का एक पोर्टफ़ोलियो होता है, जहां आप देख सकते हैं कि फ़ंड ने कहां-कहां निवेश किया है, और गिरते-चढ़ते बाज़ार में इसका परफ़ार्मेंस कैसा रहा है.
लाइफ़ में तजुर्बा मायने रखता है. समय के साथ फ़ैसले बेहतर होते जाते हैं. यही बात फ़ंड इन्वेस्टमेंट पर भी लागू होती है. इसलिए NFO की तुलना में स्थापित फ़ंड को चुनना बेहतर है.
कुछ निवेशक NFO को IPO समझने की ग़लती करते हैं, जबकि दोनों में काफ़ी अंतर है. स्टॉक का प्राइस सप्लाई और डिमांड पर आधारित होता है, जबकि फ़ंड यूनिट्स की सप्लाई हमेशा रहती है.