Mutual Funds: 4 स्टेप में बेस्ट फ़ंड चुनें

बड़ा फ़ंड कैसे तैयार होगा

अनुशासित तरीक़े से निवेश करने पर आप बड़ा फ़ंड तैयार कर सकते है. लेकिन, अगर आपने ऐसे फ़ंड में निवेश किया है जो कुछ वक़्त से ठीक परफ़ॉर्म नही कर रहा है, तो आप एवरेज से कम रिटर्न हासिल करेंगे.

इक्विटी फ़ंड्स पर बाज़ार की तेज़ी-मंदी का असर

फ़ंड चुनने से पहले समझ लें कि बाज़ार में गिरावट होने पर SIP को इक्विटी फ़ंड की ज़्यादा यूनिट मिलती हैं. और जब बाज़ार चढ़ता है, तो SIP को कम यूनिट्स मिलती हैं.

ज़रूरी गाइडलाइन!

अगले 4 स्टेप आपको बेस्ट फ़ंड का चुनाव करने में मदद कर सकते है.

1. सही कैटेगरी चुनें

बाज़ार में कई तरह के इक्विटी फ़ंड हैं. अपनी ज़रूरत के हिसाब से फ़ंड को चुनें. ज़्यादा रिटर्न के लिए मिड और स्‍माल-कैप फ़ंड्स को चुनें. हालांकि ये रिस्की हैं, और टैक्‍स बचाने के लिए टैक्‍स सेविंग फ़ंड में निवेश करें.

2. लंबे समय के रिटर्न

इसके लिए आपको फ़ंड चुनते हुए, पिछले 5-10 साल का रिटर्न देखना चाहिए. बाज़ार में बड़ी गिरावट के दौर में ख़ुद को बड़ी गिरावट से बचाने की क्षमता रखने वाले फ़ंड निवेश के लिए बेहतर होते हैं.

3. फ़ंड का मैनेजमेंट

फ़ंड के, फ़ंड मैनेजर पर ग़ौर करें. कितने साल से वो फ़ंड को मैनेज कर रहा है. इसके अलावा मैनेजमेंट का स्‍टाइल पर ग़ौर करें क्योंकि उसका एक सा बना रहना भी अहम होता है.

निवेश का ख़र्च

लंबे समय के दौरान, फ़ंड के एक्‍सपेंस यानी ख़र्च आपके कुल रिटर्न में बड़ा अंतर पैदा कर सकते हैं. ऐसे में, फ़ंड का ख़र्च चेक करें. लेकिन इसे फ़ंड चुनने का सबसे अहम फ़ैक्टर न बनाए.

ज़रूरी बात!

अगर आप इक्विटी फ़ंड में निवेश करते है, तो उसमें SIP के ज़रिए निवेश करना सबसे अच्‍छा रहेगा. एक अच्‍छे फ़ंड में की गई SIP लंबे समय में आकर्षक रिटर्न दिला सकती है.

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