Published: 13th Aug 2024
निवेशकों के लिए अब ये ध्यान रखना ज़्यादा ज़रूरी हो गया है कि वो कहां निवेश कर रहे हैं और कब ख़रीदते-बेचते हैं.
By: Value Research Dhanak
स्टॉक और म्यूचुअल फ़ंड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स इस साल 10% से बढ़कर 12.5% हो गया है. ऐसे में, स्टॉक की तुलना में म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करना (टैक्स के लिहाज़ से) कहीं ज़्यादा फ़ायदे का सौदा है.
सभी इक्विटी पोर्टफ़ोलियो में कुछ ख़रीदना या बेचना होता है. ख़ुद स्टॉक में निवेश करते हैं, तो टैक्स लगता है. इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में, फ़ंड मैनेजर फ़ंड के ये काम करने पर कोई टैक्स नहीं लगता.
म्यूचुअल फ़ंड में आपका पैसा टैक्स में जाने के बजाए निवेश में लगा रहता है और इस तरह से मुनाफ़ा और बढ़ जाता है. लंबे समय के निवेश में बरसों की कंपाउंडिंग के दौरान, यही पैसा बहुत बड़ा अंतर ला सकता है.
ज़ाहिर है, इस तरह की कंपाउंडिंग का फ़ायदा पाने के लिए, आपको एक ऐसे एसेट में निवेश करना होगा, जिसमें बार-बार ख़रीदने और बेचने का झंझट न हो और ऐसा निवेश एक डायवर्सिफ़ाइड इक्विटी फ़ंड होता है.
आप सोच रहे होंगे कि मैं ख़ासतौर पर डायवर्सिफ़ाइड ही क्यों कह रहा हूं. असल में, सेक्टोरल, थीमैटिक या दूसरे फ़ंड्स में आपको होल्डिंग्स ज़्यादा बार एडजस्ट करनी होगी, जबकि डायवर्सिफ़ाइड फ़ंड्स में ऐसा नहीं होगा.
एक म्यूचुअल फ़ंड निवेशक के तौर पर आपको अपने निवेश के विकल्पों पर लगने वाले टैक्स की पूरी समझ होनी चाहिए. अब ये ऐसी चीज़ नहीं रह गई है जिसे आप अनदेखा कर सकते हैं.