Published on: 21st Mar 2025
बैन कैपिटल के संभावित निवेश से बाज़ार में उत्सुकता बढ़ी है. इस नए विकास से मणप्पुरम की वैल्यूएशन में री-रेटिंग की संभावना पर विचार करने का समय आ गया है.
जबकि मुथूट फ़ाइनांस अपनी स्थिर ग्रोथ और ऊंचे मार्जिन के लिए जाना जाता है, मणप्पुरम अभी भी पीछे है. ये विसंगति निवेशकों के लिए एक पहेली बनी हुई है.
मुथूट जहां एक साल के लिए ग्राहकों को लोन देता है, वहीं मणप्पुरम के तीन महीने के छोटे लोन टर्म्स से ज़्यादा अड़चन और ऊंचे मैनेजमेंट की लागत पैदा होती है.
मणप्पुरम के छोटे लोन टेन्योर की वजह से ग्राहकों को बार-बार बदलाव की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है, जिससे ग्राहक संतुष्टि में कमी और ऑपरेटिंग कॉस्ट बढ़ती है.
मुथूट फ़ाइनांस अपनी विश्वसनीयता और स्थायित्व के लिए प्रसिद्ध है, जबकि मणप्पुरम अभी भी उस स्तर की ग्राहक निष्ठा और ब्रांड पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है.
भारतीय बैंक अब गोल्ड लोन मार्केट में तेज़ी से प्रवेश कर रहे हैं, जिससे NBFCs के लिए प्रतिस्पर्धी दबाव बढ़ गया है. ये बदलाव मणप्पुरम के लिए नई स्ट्रैटेजी अपनाने की मांग करता है.
मणप्पुरम का माइक्रोफ़ाइनांस सेक्टर विनियामक जांच के तहत है, जो इसकी गवर्नेंस और विनियामक पालन पर सवाल उठाता है.
अगर बेन कैपिटल निवेश करती है, तो ये मणप्पुरम के लिए फ़ाइनेंशियल और परिचालनात्मक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम हो सकता है.