EMI चुकाने के लिए जी रहे या जीने के लिए कमा रहे हैं? 

Published on: 16th Apr 2025

EMI के साथ असल ख़र्च का हिसाब-किताब

– EMI: ₹50,000/महीना – सालाना ख़र्च: ₹6 लाख कार सर्विस, पेट्रोल, और समय की बर्बादी जोड़ें तो कुल ख़र्च ₹8 से ₹9 लाख तक आसानी से पहुंच जाता है.

क्या इस ख़र्च से बचने का कोई स्मार्ट तरीक़ा है?

– EMI की गाड़ी से बेहतर था अगर पैसे SIP में लगे होते. – हालांकि, हर किसी की ज़रूरत अगल होती है. मगर ये सवाल तब ज़रूरी है जब कुछ ख़रीदना एक विकल्प हो.

बंधू फंस गए चक्रव्यूह में?

– इमरजेंसी फ़ंड के बिना हर मुश्किल और बड़ी लगने लगती है. – मेडिकल इमरजेंसी आते ही EMI की चिंता शुरू. – बिना प्लानिंग के फै़लने वाला लाइफ़स्टाइल – लोन को स्टेटस सिंबल समझना

कन्फ़्यूज़न ही कन्फ़्यूज़न? Solution है!

– "EMI" को कहें अलविदा, "Emergency Fund" को अपनाएं. – ज़रूरत और लग्ज़री में फ़र्क़ करना सीखें. – SIP की अभी शुरुआत करें और हर महीने थोड़ा-थोड़ा निवेश करें. – सोशल मीडिया का शोर बंद करें. दोस्त की नई गाड़ी देखकर आपने लोन ले लिया, तो अगली पोस्ट में वो आपकी EMI नहीं चुकाएगा.

EMI की ज़िंदगी नहीं, निवेश की ज़िंदगी!

– ज़िंदगी में कुछ ख़्वाहिशें ज़रूरी हैं, लेकिन वो आपकी हों, इंस्टाग्राम की कॉपी-पेस्ट न हों. – समझें कि आप किसके लिए काम कर रहे हैं, अपनी मेहनत को EMI के चक्कर में क्यों घुमा रहे हैं? प्लान करके ख़र्च करें, और निवेश करें ताकि भविष्य के लिए सही फै़सले ले सकें!