Published: 14th Aug 2024
By: Value Research Dhanak
नौकरीपेशा लोग सैलरी आने की ख़ुशी से अच्छी तरह से वाक़िफ़ हैं. लेकिन ये ख़ुशी कुछ दिन ही टिकती है. मुश्किल से महीने के शुरुआती 10 दिन ख़त्म होते-होते हममें से बहुत से लोग फिर से अगली सैलरी के दिन गिनने शुरू कर देते हैं.
सवाल अक्सर हम ख़ुद से पूछते हैं. इसका जवाब भी कमोबेश हम जानते ही हैं. तमाम ख़र्च हमारे वेतन का एक बड़ा हिस्सा निगल जाते हैं. इसके चलते बचत कम हो पाती है और इसलिए निवेश भी कम होता है.
फ़्यूचर के लिए सही प्लानिंग, ऐसी प्लानिंग जिसमें अपने लाइफ़स्टाइल से बहुत ज़्यादा समझौता नहीं करना पड़े. यानी, अपने निवेश को ऑटोमैटिक रखना है और ख़र्च से पहले बचत के लिए पैसे निकाल लेना है.
सही मायने में बचत स्ट्रैटजी नहीं बल्कि एक क़ला है और इस क़ला में माहिर होना ज़रूरी है. महीने की शुरुआत में ही तय रक़म का प्रतिशत निकाल लें, जैसे - 10, 15, या 25% और अपने लक्ष्य की अवधि के मुताबिक़ अपनी पसंद के फ़ंड में निवेश कर दे.
बचत को महीने के पहले हफ़्ते में कर देने से आप पर कुछ दबाव बनेगा क्योंकि आपके ज़रूरी ख़र्च अभी बाक़ी हैं. लेकिन अब आपके पास कम पैसे होंगे. ये चिंता असल में अच्छी ही है. ग़ैर-ज़रूरी ख़र्चों को टालने और उन पर रोक लगाने के लिए मजबूर होना चाहिए. जिससे आपके ख़र्च आपकी आमदनी के मुताबिक़ हो जाएंगे.
अपनी आमदनी का 10% बचाने के साथ शुरुआत करते हैं, तो आपको समय के साथ इसे बढ़ाने के बारे में भी सोचना चाहिए. साल भर बाद जब आपकी सैलरी बढ़े, उसी समय पर ऐसा करना मुश्किल नहीं होना चाहिए. अपनी SIP को सालाना बढ़ाना आपके निवेश के लिए जादुई साबित होता है.
ये फ़ाइनेंशियल रूल आज़माए हुए हैं. उन्हें अपनी स्थिति के मुताबिक़ फिर से ढालें और बेहतर फ़ाइनेंशियल फ़ैसले लें.