पैसिव फ़ंड Nifty या Sensex जैसे मार्केट इंडेक्स की नक़ल करते हैं. ये चुने हुए इंडेक्स में स्टॉक्स की हिस्सेदारी के मुताबिक़ निवेश करते हैं
किसी एक्टिव फ़ंड के मुकाबले ETF और Index Fund का एक्सपेंस रेशियो कम होता है. फ़ंड मैनेजर का ख़ास रोल नहीं होता क्योंकि पोर्टफ़ोलियो चुने हुए मार्केट इंडेक्स को ही दोहराता है
फ़ंड मैनेजर, इंडेक्स की नकल करता है, जिससे ग़लती होने की आशंका कम हो जाती है
अगर आप बेंचमार्क को ट्रैक करने वाले पैसिव फ़ंड में निवेश करते हैं, तो आपको उन शेयरों की एक रेंज में एक्सपोज़र मिलेगा जो मार्केट का मूवमेंट दिखाते हैं.
इसमें निवेश करने पर फ़ंड/ फ़ंड मैनेजर का परफ़ॉर्मेंस ट्रैक करने की ज़रूरत नहीं होती. ये फ़ंड अपने बेंचमार्क को कॉपी करते हैं, इसलिए बेंचमार्क जितने रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं
एक्टिव फ़ंड्स जैसी ऊंची ट्रांसपेरंसी और आसान ट्रेड की वजह से भी पैसिव फ़ंड पॉपुलर हैं. ये फ़ंड ट्रेडिंग-डे में किसी भी समय बेचे और ख़रीदे जा सकते हैं