ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि एक बार फ़ंड निवेश करने के बाद निवेश की देखभाल करने की जिम्मेदारी फ़ंड मैनेजर की हो जाती है. इसमें कुछ ग़लत नहीं है. लेकिन इस स्ट्रेटज़ी को अपनाना रिस्की हो सकता है.
म्यूचुअल फ़ंड, ख़ास कर इक्विटी ओरिएंटेड फ़ंड का परफ़ॉरमेंस फ़ंड मैनेजर के फ़ैसलों पर निर्भर करता है. मगर आप इसे पूरी तरह से फ़ंड मैनेजर पर ही छोड़ देते हैं तो निवेश का स्टाइल बदलने पर फ़ंड का प्रदर्शन गिर सकता है और आपको पता ही नहीं चलेगा.
सभी एसेट मैनेजमेंट कंपनियां सालाना रिपोर्ट, छमाही रिपोर्ट और तिमाही फ़ैक्टशीट/ न्यूज़लेटर मुहैया कराती हैं. AMC की अपनी वेबसाइट पर भी दूसरे फ़ाइनेंशियल डिटेल्स के साथ स्कीम के NAV लोगों के सामने रखे जाते हैं.
इसके अलावा, आपको फ़ंड के बेंचमार्क और उसके जैसे दूसरे फ़ंड्स के परफ़ॉरमेंस की तुलना करने की कोशिश भी करनी चाहिए.
समय आने पर उपलब्ध जानकारियों के आधार पर आपको ख़ुद ही निवेश से बाहर निकलने का फ़ैसला करना होगा. तो, अपने फ़ंड के परफ़ॉरमेंस पर नज़र रखिए. कुल मिलाकर, ये आपका पैसा है और आपको जानना चाहिए कि फ़ंड इसके साथ क्या कर रहा है?
इस लेख का उद्देश्य निवेश की जानकारियां देना है. ये निवेश की सलाह नहीं है.