Published: 19th Nov 2024
By: Value Research Dhanak
क्या आपने कभी सोचा है कि आपके लिए कौन सा सेविंग अकाउंट बेहतर है?
आज की तारीख़ में ज्यादातर लोगों पास एक सेविंग अकाउंट होता ही है. इस बचत खाते के काम चलना बेहद मुश्किल है. लेकिन क्या आपकी बचत के लिए इतना काफ़ी है?
सेविंग अकाउंट के ज़रिए अपनी ज़रूरत के हिसाब से आप कभी भी और कहीं भी पैसे निकाल सकते है. घर ख़र्च और दूसरी ज़रूरतों में बेहद काम आता है.
सेविंग अकाउंट में किसी तय रक़म का रेग्युलर डिपॉज़िट नहीं होता है, आमतौर पर इसमें मिनिमम बैलेंस की शर्त भी होती है. हां, कई बैंक ज़ीरो बैलेंस अकाउंट की सुविधा भी देते हैं.
सैलरी सेविंग्स अकाउंट बिल्कुल रेगुलर सेविंग्स अकाउंट की तरह ही होता है, लेकिन रेग्युलर के मुक़ाबले कोई मिनिमम बैलेंस की शर्त नहीं होती है.
जिस बैंक में आप सेविंग्स अकाउंट खुलवाना चाहते है उसका फ़ॉर्म भरना होगा. दो पासपोर्ट साइज़ फ़ोटोग्राफ़,आधार कार्ड की कॉपी, पैन कार्ड की कॉपी जमा करनी होंगी.
सेक्शन 80TTA के तहत सेविंग्स अकाउंट में ₹10,000 तक के ब्याज़ पर टैक्स छूट होती है. इसके बाद TDS कटता है.
अकाउंट खुलवाने के समय वेरिफ़िकेशन के लिए आप इन डॉक्यूमेंट की ओरिजिनल कॉपी भी अपने साथ रखें. बैंक की वेब साइट में जाकर आप अपना अकाउंट अपने आप खोल सकते है.
सेविंग्स अकाउंट में जमा पैसा, ज़्यादातर ₹5 लाख तक ही इंश्योरेंस से कवर होता है, जिसमें रक़म पर मिलने वाला ब्याज भी शामिल है.
अगर कोई बैंक इस प्लान के प्रीमियम को लगातार तीन या छह महीने तक नहीं भरता है, तो उसके अकाउंट को इस इन्श्योरेंस कवर का लाभ नहीं मिलेगा.
ज़ाहिर है कि ये हमारे बहुत काम आता है लेकिन लॉन्ग-टर्म के मामले में काफ़ी पेचीदा है क्योंकि इसमें मिलने वाले ब्याज की दरें काफ़ी कम होती है.