Published 29th June 2024
हाल के दौर में निवेश का ट्रेंड तेज़ी से बढ़ रहा है. पहले के मुक़ाबले अब युवा भी निवेश में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. भले ही ₹500 ही क्यों न निवेश करें, लेकिन निवेश में युवाओं का क्रेज़ साफ तौर से देखा जा सकता है.
इस बात को तरीक़े से समझें तो निवेश के साथ रिस्क भी जुड़े होते हैं. भले ही, अलग-अलग निवशों के अलग-अलग रिस्क हों, लेकिन शायद ही कोई ऐसा निवेश होगा जो पूरी तरह से रिस्क फ़्री हो. Mutual Fund में भी रिस्क होता है.
निवेश की दुनिया में रिस्क कीमतों में उतार-चढ़ाव का दूसरा नाम है. ऐसा निवेश जिसमें ज़्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है, उस निवेश को रिस्की माना जाता है.
आमतौर पर इक्विटी फ़ंड और डेट फ़ंड को जोख़िम भरा माना जाता है, हालांकि इक्विटी फ़ंड मुक़ाबले डेट फ़ंड उतने रिस्की नहीं होते हैं. वहीं, मिड और स्मॉल कैप फ़ंड्स भारी उतार-चढ़ाव के लिए पॉपुलर हैं.
डाइवर्सिफ़िकेशन को म्यूचुअल फ़ंड की ख़ूबी तौर पर गिना जाता है, लेकिन ज़्यादा डाइवर्सिफ़िकेशन पोर्टफ़ोलियो के लिए अच्छा नहीं होता है. इससे ऑपरेटिंग कॉस्ट बढ़ जाती है, जिससे मुनाफ़े का पता नहीं चलता है.
ये लेख निवेश से जुड़ी जानकारी देने के लिए है. इसे निवेश की सलाह न समझें.