Share Market में गिरावट के दौरान SIP बंद करना सही है?

Published:  18th Nov 2024

By: Value Research Dhanak

निवेशकों का घबराना स्वाभाविक है. लेकिन घबराहट में लिए फ़ैसले आपकी वेल्थ के लिए नुक़सान देह हैं 

पैसे की चिंता  

शेयर बाज़ार में गिरावट के समय कुछ निवेशकों के मन में अपने पैसे को बचाने का विचार आता है. इस सतर्कता के चक्कर में गिरावट के दौर में वो SIP बंद कर देते हैं. ऐसा करने से बड़े नुक़सान को न्योता दे रहे होते हैं. 

तेज़ी के दौर में लौटते हैं 

2008 से अब तक छह बार सेंसेक्स 6% या उससे ज़्यादा गिर चुका है. लेकिन अंततः संभल ही जाता है. और, जब बाज़ार में वापस तेज़ी का दौर आता है तो  कमाई की उम्मीद में आप निवेश फिर से शुरू कर देते हैं. ये किसी भी तरह से फ़ायदेमंद नहीं, उलटा इससे नुक़सान ही होता है. 

बाज़ार से नहीं निकलने पर फ़ायदा  

जब सेंसेक्स 6% से ज़्यादा गिरा था तो अगले पांच साल में इसने कम से कम 17% का रिटर्न दिया था. यानी अगर आप बाज़ार से बाहर नहीं निकलते, तो आपका पैसा पांच साल में दोगुना से ज़्यादा हो सकता है.  

कौन सा मौक़ा गंवा देते हैं निवेशक 

गिरावट में निवेश बंद करने पर आप ख़रीद की क़ीमत के औसत को कम करने का मौक़ा गंवा देते हैं. असल में, जब निवेश करना चाहिए, तो आप बाहर हो जाते हैं और मुनाफ़े का मौक़ा गंवा देते हैं. 

यहीं काम आती है SIP 

निवेशकों के ऐसे व्‍यवहार को हतोत्‍साहित करने के लिए ही तो SIP बनाई गई है. SIP के ज़रिए निवेश करने का मतलब है कि बाज़ार में गिरावट हो या तेज़ी, आप हर दौर में निवेश करते हैं. 

गिरावट के दौरान क्या करना चाहिए? 

उतार-चढ़ाव बाज़ार का स्वभाव ही है, इसलिए गिरावट से घबराना नहीं चाहिए. SIP निवेशक के डर और लालच पर नियंत्रण रखती है. अगर आप SIP के ज़रिए निवेश कर रहे हैं तो सबसे ज़्यादा अनुशासन मायने रखता है न कि निवेश का समय. 

इस लेख का उद्देश्य निवेश की जानकारियां देना है. ये निवेश की सलाह नहीं है.