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Published on: 27th Mar 2025

क्या IRFC निवेशकों के लिए मुसीबतें अभी और बढ़ेंगी?

भारतीय रेलवे फ़ाइनांस कॉर्पोरेशन (IRFC) के निवेशकों ने पिछले कुछ साल में अच्छा मुनाफ़ा कमाया, लेकिन अब ये निवेशक मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं. जुलाई 2024 से अब तक, IRFC का शेयर लगभग 40

IRFC की मुश्किलें क्या हैं?

IRFC ने पिछले कुछ साल में अपनी एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) में भारी ग्रोथ देखी थी. लेकिन अब ये ग्रोथ धीमी हो रही है. इसकी वजह ये है कि भारतीय रेलवे ने पिछले कई क्वार्टर से IRFC से कोई नया लोन नहीं लिया है. और जब रेलवे के ख़र्चों में गिरावट आई है, तो IRFC को भी मंदी का सामना करना पड़ रहा है.

IRFC की ताक़त का क्या हुआ?

IRFC पहले एक बेहतरीन निवेश था, क्योंकि यह भारतीय रेलवे को सॉवरेन बैक्ड लोन देने वाला अकेला संस्थान था. इसका मतलब था कि कम रिस्क और हाई डिविडेंड. साथ ही, इसके पास टैक्स छूट और बैलेंस शीट पर कोई बैड लोन नहीं था, जिससे इसे निवेशकों के बीच एक पसंदीदा विकल्प बना दिया.

क्या बदलाव आया है?

अब IRFC का हाल थोड़ा बदल चुका है. इसका AUM अब धीरे-धीरे घटने लगा है. कंपनी की ग्रोथ का मुख्य सोर्स अब पुराने लोन पर ब्याज जोड़ने तक सीमित हो गया है. 2028 के बाद जब असली लोन पेमेंट शुरू होगा, तब इस गिरावट का और असर देखने को मिल सकता है.

क्या IRFC की डाइवर्सिफ़िकेशन  स्ट्रैटेजी काम करेगी?

IRFC अपनी ग्रोथ को फिर से रिवाइव करने के लिए नई परियोजनाओं में निवेश कर रही है. ग्रीन एनर्जी, कोयला लॉजिस्टिक्स और माइनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में नए लोन दिए जा रहे हैं. कंपनी को उम्मीद है कि इससे उसे ऊंचे इंटरेस्ट स्प्रेड्स मिलेंगे और यह पुराने रेलवे लोन की तुलना में ज़्यादा प्रॉफ़िटेबल साबित होगा.

क्या ये डाइवर्सिफ़िकेशन  काम करेगा?

ये डाइवर्सिफ़िकेशन स्ट्रैटेजी आकर्षक तो लगती है, लेकिन इसके लिए कई चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी चुनौती है प्रतिस्पर्धा. एनर्जी और इंफ्रास्ट्रक्चर लोन देने वाले सेक्टर में पहले से ही REC और PFC जैसे बड़े खिलाड़ी हैं. IRFC को इनके मुक़ाबले अपनी पेशकश को और आकर्षक बनाना होगा.

IRFC के लिए खतरे का पहाड़

IRFC को कई जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है. पहली चुनौती है लंबी निष्पादन समयसीमा. दूसरी, उच्च प्रतिस्पर्धा. तीसरी, सख्त रेगुलेटरी नियम जो IRFC को सीमित करते हैं. इसके अलावा, जैसे-जैसे IRFC सॉवरेन-बैक्ड लेंडिंग से बाहर जा रही है, इसे टैक्स का सामना करना पड़ सकता है, जो अब तक इसकी ताक़त रहा है.

क्या IRFC की वैल्यूएशन सही है?

इसके बावजूद, IRFC का शेयर अभी भी 3 गुने P/B रेशियो पर ट्रेड कर रहा है. यही वही वैल्यूएशन है, जो कभी इसके टैक्स-फ्री और रिस्क-फ्री मॉडल को दर्शाता था. लेकिन अब जब रेलवे से कोई नया लोन नहीं मिल रहा है और कंपनी प्रतिस्पर्धी क्षेत्रों में प्रवेश कर रही है, तो क्या ये वैल्यूएशन सही है?

निवेशकों को क्या करना चाहिए?

IRFC के निवेशकों को अभी काफ़ी विचार करने की ज़रूरत है. कंपनी अपनी डाइवर्सिफ़िकेशन स्ट्रैटेजी पर काम कर रही है, लेकिन जब तक ये स्ट्रैटेजी सही ढंग से काम नहीं करती, शेयर में प्रीमियम वैल्यूएशन बरक़रार नहीं रहेगा. अब निवेशकों को ये समझना ज़रूरी है कि क्या IRFC भविष्य में मुनाफ़ा बढ़ा पाएगी या नहीं.

क्या IRFC में निवेश करना सही होगा?

IRFC को अपनी स्ट्रैटेजी और प्रदर्शन में सुधार साबित करना होगा. अगर ये अपनी नई लोन बुक से मुनाफ़ा बढ़ा सकती है, तो निवेशकों को फ़ायदा हो सकता है. लेकिन जब तक ये साबित नहीं होता, निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए. IRFC की मौजूदा स्थिति में जोखिम और रिवॉर्ड सही नहीं लगता.

Disclaimer:

ये निवेश की सलाह नहीं बल्कि जानकारी के लिए है. अपने निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें.