Investment: मुश्किल है आगे का रास्ता? 

4 जून की गिरावट

सबसे पहले, मैं कुछ ऐसा कहना चाहता हूं जिसकी उम्मीद मेरे विचारों से परिचित लोग शायद नहीं करेंगे: 4 जून को चुनाव के नतीजों पर शेयर बाज़ार की शुरुआती प्रतिक्रिया सही थी.

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ज़्यादातर गिरावटें सिर्फ़ ख़रीदने का मौक़ा 

ज़्यादातर गिरावटें ख़रीदने का मौक़ा होती हैं. हालांकि ऐसी गिरावटें भी हो सकती हैं जो किसी घटना की सही प्रतिक्रिया हों, जो उस मूल आधार को ही नुक़सान पहुंचा दे जिस पर कई शेयरों की दिशा और स्तर आधारित हों.

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शानदार रहे 10 साल

बीते 10 साल शानदार रहे, जिसमें तमाम उतार-चढ़ाव आए. असल में, इक्विटी निवेशकों के तौर पर, हम चुनौतियों को अच्छी तरह समझते हैं. हालांकि, सबसे ज़्यादा ये बात मायने रखती है, हम कहां थे और कहां जा रहे हैं.

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विकास को मिला आधार

एक दशक पहले, शायद ही कल्पना की जा सकती थी कि समस्याओं को हल करने और भविष्य के विकास का आधार तैयार करने में इतनी प्रगति होगी. अर्थव्यवस्था में हरेक चुनौती को ऐसे निपटाया गया है जो अविश्वसनीय लगता है.

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मज़बूत इरादे बने रहें 

भले ही, राष्ट्र और अर्थव्यवस्था बढ़ी है, लेकिन संदिग्ध लोगों में 2004-2014 की लूट को दोहराने की भूख भी हमेशा की तरह बढ़ी है. आगे का रास्ता ख़ासा मुश्किल तो है, लेकिन असंभव नहीं है. मज़बूत इरादे बने रहने चाहिए.

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