Published: 14th Oct 2024
By: Value Research Dhanak
आइए हम इस बात को विस्तार से समझते हैं कि SIP निवेश को रिबैलेंस कैसे करते हैं.
अपनी रिस्क उठाने की क्षमता का अनालेसिस करें, क्योंकि समय के साथ आपके निवेश के गोल बदल सकते हैं. साथ ही, आपकी रिस्क उठाने की क्षमता भी बदल सकती है.
रिबैलेंसिंग से पहले आपको ये जानना ज़रूरी है कि आपका पोर्टफ़ोलियो अभी किस स्थिति में है. आपको ये देखना होगा कि आपने शुरू में किस रेशियो में निवेश किया था और वर्तमान में वो रेशियो क्या है.
अगर आपके पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी का प्रतिशत बढ़ गया है और डेट का हिस्सा कम हो गया है, तो आपको कुछ इक्विटी बेचकर उस राशि को डेट फ़ंड्स में लगाना चाहिए या फिर अपना नया निवेश डेट फ़ंड में करना चाहिए. इससे आपका पोर्टफ़ोलियो फिर से बैलेंस हो जाएगा.
रिबैलेंसिंग कोई एक बार की प्रक्रिया नहीं है. आपको हर 6 महीने या 1 साल के अंतराल पर अपने पोर्टफ़ोलियो को रिव्यू करना चाहिए. अगर बाज़ार में ज़्यादा उतार-चढ़ाव हों, तो और भी जल्दी रिबैलेंस करने की ज़रूरत पड़ सकती है.
ये पोस्ट निवेश से जुड़ी जानकारी देने के लिए है. इसे निवेश की सलाह न समझें.
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