मार्केट में जब उथल-पुथल मची हो तो उससे निपटने का सही तरीक़ा जानना ज़रूरी है
अक्सर, सबसे अच्छा ख़रीदारी का मौक़ा तब आता है जब सब अंधाधुंध तरीक़े से बेच रहे होते हैं. असल में, धारा के विपरीत ख़रीदारी करने से आप आगे संभावित मुनाफ़े के लिए ख़ुद को तैयार कर सकते हैं.
हालांकि, ऐसा करना बहुत मुश्किल है. 4 जून को जब सेंसेक्स 9% नीचे था, तो शायद ही कोई निवेशक स्टॉक ख़रीदने की हिम्मत कर रहा था. हर कोई सोच रहा था कि ये तबाही कब तक जारी रहेगी.
तब, कुछ निवेशक ऐसे थे जो चिंतित थे, लेकिन अपने रास्ते पर डटे रहे, शायद उन्होंने और शेयर भी ख़रीदे. दूसरी ओर, घबराए हुए निवेशकों ने शायद पैनिक में बिकवाली की, जिससे उन्हें घाटा हुआ.
अक्सर यही अंतर तय करता है कि बाज़ार में सुधार होने पर आख़िरकार किसे फ़ायदा होगा. इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि जो लोग मंदी के दौर में धीरज बनाए रखते हैं, वे अक्सर आगे निकल जाते हैं.
एक ख़ूबी जो हमेशा दो तरह के निवेशकों को अलग करती है, वे उनके निवेश के विकल्पों की सरलता है. हालांकि, सरलता के बारे में बात करना आसान है और उसे अमल में लाना मुश्किल.
स्पष्ट, समझने लायक़ निवेशों पर ध्यान केंद्रित करके, आप उथल-पुथल में भी सोचे-समझे फ़ैसले लेने के लिए ख़ुद को तैयार करते हैं. बेशक़, हम चाह सकते हैं कि उथल-पुथल न हो, लेकिन तैयार रहना ज़रूरी है!