Published on: 27th Mar 2025
हर निवेशक जल्दी रिटर्न चाहता है, लेकिन सही स्टॉक चुनना गेम चेंजर होता है. इंडिया के दिग्गज इन्वेस्टर सुनील सिंघानिया बताते हैं कि असली मल्टीबैगर सिर्फ़ “टिप्स” से नहीं, समझ से मिलता है.
सिंघानिया कहते हैं — “मल्टीबैगर कोई फॉर्मूला नहीं है. आपको सालों की रिपोर्ट्स पढ़नी होंगी, छोटे बदलावों को पकड़ना होगा और noise को नज़रअंदाज़ करके सच्चाई को पहचानना होगा.”
रिलायंस ग्रोथ फ़ंड (अब निप्पॉन) ने 1994 से ₹1 को ₹400 बनाया. उनका मंत्र है — “Extraordinary रिटर्न चाहिए तो Unnecessary risk मत लो, बस लंबे समय तक टिके रहो.”
Polycab जब लिस्ट हुआ तो सबने इसे Havells से कमज़ोर माना. लेकिन लगातार 29% प्रॉफ़िट ग्रोथ ने बाज़ार की सोच बदल दी. P/E मल्टीपल 13 से 56 हो गया. यानी परफ़ॉर्मेंस से perception भी बदला.
AGI Greenpac ने जब अपना कम मुनाफे़ वाला ग्लास डिवीज़न अलग किया, तो सैनिटरीवेयर बिज़नस चमक उठा. मार्केट कैप ₹494 करोड़ से बढ़कर ₹5,900 करोड़ हो गया. Hidden वैल्यू तभी दिखती है जब बिज़नस साफ़-साफ़ दिखे.
Tanla Platforms चार तिमाही घाटे में था, लेकिन असल में वो सिर्फ़ एकमुश्त राइट-ऑफ़ थे. जैसे ही वो ख़त्म हुए, मुनाफ़ा उछला और स्टॉक ने तेज़ी पकड़ी. हर घाटा असली नहीं होता — जानना ज़रूरी है.
Tata Communications ने कैश से जो किया, वो शानदार था. घाटे में दिखने वाली कंपनी ने लगातार कैश कमाया और कर्ज उतारा. यही कैश आगे चलकर 5 गुना रिटर्न की वजह बना.
सिंघानिया साफ कहते हैं — “मल्टीबैगर खोजने का शॉर्टकट नहीं है. जितनी कंपनियों को ट्रैक कर सकते हो, करो. बैलेंस शीट पढ़ना सीखो. पैटर्न्स पकड़ो. और Noise से दूर रहो.”
नई लीडरशिप, sustainable earning, बिज़नस स्प्लिट, cash flow consistency और undervalued perception — ये सभी early signs हैं. ध्यान से देखो, बाज़ार इशारा करता है.
ये निवेश की सलाह नहीं बल्कि जानकारी के लिए है. अपने निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें.