बुनियाद का सही होना

अफ़सोस, ज़्यादातर निवेशकों को अंदाज़ा ही नहीं कि वो क्या काम हैं जो उन्हें सट्टेबाज़ या निवेशक बनाते हैं

असली शिक्षा ज़रूरी है

बचत और निवेश को लेकर ज़्यादातर लोगों को इतनी गलतफ़हमियां हैं कि उन्हें भूलने में मदद करने वाली असली शिक्षा की योजना बनाने की ज़रूरत है. असल में, बचत करने वालों का छोटा सा हिस्सा ही निवेश और सट्टेबाज़ी का अंतर समझता है.

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इक्विटी और सट्टा!

एक तरफ़, ऐसे लोग हैं जो सबसे स्थिर और रिस्क-फ़्री लंबे अर्से के निवेश को सिर्फ़ इसलिए सट्टा मानते हैं क्योंकि ये इक्विटी है. वहीं, ऐसे लोग भी हैं जो कुछ दिनों या घंटों के दौरान डेरिवेटिव ट्रेडिंग करते हैं और ख़ुद को निवेशक समझते हैं.

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मानसिकता का फ़र्क़

बेशक़, ये दोनों मामले दो अलग-अलग चरम कहे जाएंगे और इसीलिए इनमें अंतर साफ़ दिखाई देता है. ज़्यादातर निवेश के तरीक़े कहीं बीच में आते हैं, जहां काम वही रहता है मगर व्यक्ति की मानसिकता के चलते उसकी तासीर बदल जाती है.

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निवेशक से सट्टेबाज बनना

आप एक दशक तक इंडेक्स फ़ंड में SIP कर सकते हैं. फिर, एक दिन बड़ी गिरावट आने पर अचानक आप पैसे निकालकर बाज़ार के नीचे जाने का इंतज़ार करने का फ़ैसला कर लेते हैं. अब आप एक निवेशक से सट्टेबाज़ हो जाते हैं.

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…जो सिखाना है मुश्किल

ये मनःस्थिति की बात है, और एक बंधे-बंधाए फ़ॉर्मूले पर बने निवेशक शिक्षा के पाठ्यक्रम से इसे सिखा पाना काफ़ी मुश्किल है.

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