कम रिस्क के साथ ज़्यादा रिटर्न कैसे हासिल करें?

By: Abhijeet Pandey

Published 07 June 2024

शॉर्ट टर्म गोल पर फ़ोकस

2-3 साल बाद बच्चों के स्कूल एडमिशन या एक साल में नई कार ख़रीदने के लिए पैसों की ज़रूरत जैसे शॉर्ट-टर्म यानी कम समय के लक्ष्य होते हैं.

शॉर्ट टर्म में 2 तरह के लक्ष्य होते हैं

अमूमन दो तरह के गोल होते हैं जिनके मुताबिक़ हम निवेश स्ट्रेटजी बनाते हैं, वो हैं 1) नेगोशिएबल गोल, 2) नॉन-नेगोशिएबल गोल. इन्ही के आधार पर हम अपना निवेश तय करते हैं.

1. नेगोशिएबल गोल

ऐसे गोल या ज़रूरतें हैं जिन्हें आप टाल सकते हैं. यानी आप ये ख़र्च करना तो चाहते हैं मगर नहीं करने पर कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ेगा. जैसे गाड़ी या कोई महंगा फ़ोन ख़रीदने के ख़र्च इस कैटगरी में आते हैं.

2. नॉन-नेगोशिएबल गोल

इनमें ऐसे गोल आते हैं जिन्हें आप टाल नहीं सकते. ये हमारी बुनियादी और बड़ी ज़रूरतों के बड़े ख़र्च हो सकते हैं, जैसे - बच्चों की पढ़ाई का ख़र्च या अपना घर ख़रीदने का प्लान.

शॉर्ट-टर्म इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी 

शॉर्ट-टर्म गोल के लिए आपकी निवेश स्ट्रैटजी ज़्यादा सावधानी के साथ ज़्यादा सुरक्षित होनी चाहिए. आमतौर पर निवेशक शॉर्ट-टर्म निवेश करते समय बहुत ज़ल्दबाज़ी कर देते हैं. इसके चलते नुक़सान उठाना पड़ता है. 

इस बात का ध्यान रखें

हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती तो शार्ट-टर्म गोल्स में निवेश करते समय सब्र से काम लें. आप की उम्मीदें जितनी ज़्यादा होंगी, आपके बिना सोचे-समझे निवेश करने के चांस उतने ज़्यादा हो जाएंगे. 

शॉर्ट-टर्म के लिए कहां करें निवेश?

शॉर्ट-टर्म में बहुत कंज़रवेटिव होकर निवेश करना चाहिए. शॉर्ट-टर्म निवेश आपके लक्ष्य को पूरा करने में लगने वाले समय पर निर्भर करता है. साथ ही शॉर्ट-टर्म गोल कितना निगोशिएबल है, ये भी ध्यान रखना होता है.

डिसक्लेमर!

इस लेख का उद्देश्य निवेश की जानकारियां देना है. ये निवेश की सलाह नहीं है.