Published on: 4th Apr 2025
बीते छह महीनों में BSE Smallcap Index करीब 23% लुढ़क चुका है—इतिहास की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट! कई निवेशकों की पूंजी आधी हो गई. मगर क्या ये डरने का समय है या अवसर देखने का?
पिछले 20 साल का इतिहास उठाकर देखिए—हर बड़ी गिरावट के बाद क्वालिटी स्टॉक्स ने जबरदस्त वापसी की है. 2008, 2020 या 2018… हर बार स्मार्ट निवेशकों ने गिरते बाज़ार में शानदार कंपनियां खरीदीं और मल्टीबैगर रिटर्न कमाए.
जहां औसत स्मॉल-कैप स्टॉक्स में 27.5% की गिरावट आई, वहीं ज़्यादातर actively managed Smallcap funds ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और अपने बेंचमार्क को पीछे छोड़ा.
1. High Return on Equity (ROE) – यानी कंपनी पैसा कैसे कमाती है 2. Low Debt – कम उधारी, मतलब फ़ायदा ज़्यादा 3. Consistent Growth – साल-दर-साल बढ़ने वाला बिज़नेस ये तीन चीज़ें मिलती हैं, तो कंपनी गिरावट में भी मजबूत बनी रहती है.
जिन कंपनियों के पास ना प्रॉफिट है, ना प्लान—उनकी हालत सबसे खराब रही. उन्होंने निवेशकों को भारी नुकसान दिया. गिरावट ने दिखा दिया कि बिना मजबूत फाउंडेशन वाले बिज़नेस कब तक टिक सकते हैं?
मार्केट का नेचर साइकल जैसा है—गिरावट, स्थिरता, तेज़ी. जो गिरावट में मज़बूती से टिकता है, वही अगली तेज़ी में भागता है.
कई शानदार कंपनियां जो पहले P/E 80-90 पर थीं, अब 30-40 पर मिल रही हैं. उनके बिज़नेस मॉडल तो वही हैं, सिर्फ़ प्राइस गिरा है. क्या ये मौका है या मिस करने वाली चीज़?
गिरावट में दिमाग ठंडा रखना सबसे बड़ा हुनर है. जब सब बेच रहे हों, तब स्टडी करो—कौन सी कंपनी वाकई दमदार है.
गिरावट में वो कंपनियां तलाशो जिनका बिज़नेस सॉलिड है, लीडरशिप क्लियर है और वैल्यूएशन अब समझदारी वाला है.
ये निवेश की सलाह नहीं बल्कि जानकारी के लिए है. अपने निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें.