Published on: 31st Mar 2025
आज के अस्थिर वैश्विक मार्केट में, HEG (नोएडा स्थित कंपनी) ने अपनी स्ट्रैटेजी का बड़ा दांव खेला है. वो ग्रेफ़ाइट इलेक्ट्रोड और एनोड उत्पादन में बड़े निवेश कर रही है. क्या इन योजनाओं से कंपनी को फ़ायदा होगा, या वो जोखिम में है? आइए जानते हैं.
ग्रेफ़ाइट इलेक्ट्रोड लिथियम या सेमीकंडक्टर की तरह चर्चा में नहीं आते, लेकिन इनकी भूमिका स्टील उद्योग में बेहद अहम है. ये इलेक्ट्रिक आर्क फ़र्नेस (EAF) में इस्तेमाल होते हैं, जो स्टील को पिघलाने के लिए बिजली का उपयोग करते हैं. इसलिए, ये स्टील के उत्पादन में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं और पूरी दुनिया में इनकी मांग होती है.
HEG एक अग्रणी कंपनी है जो दुनिया के सबसे बड़े ग्रेफ़ाइट इलेक्ट्रोड निर्माता के रूप में जानी जाती है. कंपनी का लगभग 70% क़ारोबार निर्यात से आता है, और भारत में इसे प्रमुख स्थान प्राप्त है. HEG का विस्तार और निवेश इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में बनाए रखने में मदद करता है.
HEG ने ग्लोबल स्टील प्रोडक्शन में एक अहम बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाया है. वो पारंपरिक ब्लास्ट फ़र्नेस से EAF की ओर बढ़ रही है, जो ज़्यादा स्थिर और क्लीन स्टील बनाने की प्रॉसेस है. इससे ग्रेफ़ाइट इलेक्ट्रोड की मांग बढ़ने की उम्मीद है. हालांकि, अभी तक ग्लोबल स्तर पर EAF की मांग अपेक्षाकृत धीमी रही है.
ग्रेफ़ाइट इलेक्ट्रोड का मार्केट मंदी के दौर से गुज़र रहा है. महामारी के बाद, EAF को अपनाने की गति धीमी रही है और चीन में इसकी मांग में गिरावट आई है. चीन ने अतिरिक्त आपूर्ति करके इलेक्ट्रोड की कीमतों को कम किया है, जिससे ग्लोबल मार्केट में दबाव बढ़ा है. इस स्थिति में, HEG की चुनौती और भी बढ़ जाती है.
जापान ने हाल ही में चीनी इलेक्ट्रोड पर 95% एंटी-डंपिंग टैरिफ लागू किए हैं. इससे चीनी प्रॉडक्ट की ज़्यादा आपूर्ति पर रोक लग सकती है, जो HEG के लिए एक सकारात्मक संकेत है. अगर ये ट्रेंड जारी रहता है, तो HEG और अन्य कंपनियों को ग्लोबल मार्केट में नए मौक़े मिल सकते हैं.
जब बाक़ी कंपनियां मंदी के दौर में पीछे हट रही थीं, HEG ने अपने ऑपरेटिंग में ₹2,100 करोड़ का भारी निवेश किया. इससे कंपनी का विस्तार हुआ है और उसने बड़ी क्षमता को हासिल किया है. इसके मुक़ाबले, ग्रेफ़ाइट इंडिया जैसी कंपनियां अपने एसेट्स बेच रही थीं, जिससे HEG को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिली.
HEG का नया दांव इलेक्ट्रिक वाहन (EV) मार्केट में है. कंपनी ने ₹1,000 करोड़ का निवेश करते हुए EV बैटरियों के लिए ग्रेफ़ाइट एनोड प्लांट लगाने की योजना बनाई है. भारत में EV बैटरी सप्लाई चेन के लिए स्थानीय निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है, और HEG इस मौक़े का फायदा उठा सकती है.
HEG की मज़बूत बैलेंस शीट (डेट-फ्री और कैश-रिच) उसे जोखिम भरे क्षेत्रों में निवेश करने की क्षमता देती है. अगर ग्रेफ़ाइट इलेक्ट्रोड की कीमतें सुधारती हैं और एनोड के मार्केट में HEG को सफ़लता मिलती है, तो ये कंपनी को एक रणनीतिक रूप से बेहतर स्थिति में ला सकता है. हालांकि, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और मांग की कमी जोखिम पैदा करती है.
HEG ने आक्रामक रूप से विस्तार किया है, लेकिन उसका दांव अभी पूरी तरह से सफल नहीं हुआ है. इलेक्ट्रोड मार्केट में मांग की कमी और एनोड की संभावनाएं एक बड़ा सवाल बनी हुई हैं. अगर यह दांव सफल होता है, तो कंपनी को लंबे समय में लाभ हो सकता है. क्या HEG इस चुनौती का सामना कर पाएगी? इसका उत्तर समय ही देगा.
ये निवेश की सलाह नहीं बल्कि जानकारी के लिए है. अपने निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें.