Published on: 9th Apr 2025
क्या आपने कभी सोचा है कि जिस सोने को आज लाखों रुपये में ख़रीदा और पहना जा रहा है, वो कभी ₹100 से भी कम में मिलता था? अप्रैल 2025 में भारत में सोने की क़ीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. लेकिन ये सिर्फ़ एक क़ीमती धातु की कहानी नहीं है, बल्कि एक ऐसे सफ़र की दास्तान है, जो भारतीय परंपरा, निवेश की समझ और समय के साथ बदलती अर्थव्यवस्था को दर्शाती है.
भारत में सोना सिर्फ़ ज़ेवर या धातु नहीं है, ये एक भावना है. बचपन से शादियों, त्योहारों और परिवार की परंपराओं में इसकी चमक महसूस होती रही है. दादी की अलमारी में रखा वो पुराना हार हो या मां की नाक की नथ, हर टुकड़ा यादों से जुड़ा है. सोने का मतलब है सुरक्षा, प्रतिष्ठा और भविष्य के लिए एक मजबूत नींव.
अप्रैल 8, 2025 को भारत में 24 कैरेट सोने की क़ीमत ₹87,750 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई है, जबकि 22 कैरेट सोना ₹80,438 प्रति 10 ग्राम के आसपास बिक रहा है. ये दरें अलग-अलग शहरों और स्थानीय करों के अनुसार थोड़ी बदल सकती हैं, लेकिन एक बात तय है—आज के दौर में सोना अपने सबसे महंगे मुक़ाम पर है.
1950 में सोना महज़ ₹99 प्रति 10 ग्राम था. फिर 2000 में ये बढ़कर ₹4,400 हो गया. 2020 तक ये क़ीमत ₹48,651 तक पहुंची, और अब 2025 में ₹87,750. इसका मतलब है कि पिछले 75 सालों में इसकी क़ीमत क़रीब 887 गुना बढ़ी है.
सोने की क़ीमतों में ऐसा उछाल अचानक नहीं आता. इसके पीछे कई वजह होती हैं—जैसे वैश्विक महंगाई, रुपये की गिरावट, डॉलर की चाल, भू-राजनीतिक तनाव और भारत में त्योहारों या शादी-ब्याह के सीज़न में अचानक बढ़ती मांग.
सोने को अब सिर्फ़ ज़ेवर या परंपरा से जोड़कर नहीं देखा जाता, बल्कि एक स्मार्ट इन्वेस्टमेंट विकल्प के रूप में भी समझा जाता है. ये न सिर्फ़ महंगाई से लड़ने में मदद करता है, बल्कि बाज़ार में उतार-चढ़ाव के समय पोर्टफ़ोलियो को स्थिर बनाए रखने का भरोसा भी देता है. खास बात यह है कि सोना लिक्विड एसेट है—आप जब चाहें इसे कैश में बदल सकते हैं.
1950 से 2025 तक की टाइमलाइन पर ग़ौर करे, तो सोना हर मुश्किल दौर में एक मज़बूत विकल्प बना रहा. ये बदलाव केवल क़ीमतों का नहीं, बल्कि लोगों के विश्वास का भी संकेत है. समय-समय पर बाज़ार गिरा, शेयर क्रैश हुए, लेकिन सोना चमकता रहा. यही वजह है कि हर पीढ़ी में यह धातु पीढ़ियों के लिए सुरक्षित माना गया.