शुरुआती निवेशकों के लिए सबसे ज़रूरी होता है निवेश का सही विकल्प चुनना. ऐसे में उनके लिए सेविंग अकाउंट के मुक़ाबले लिक्विड फ़ंड एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
कई बार निवेशक बिना किसी प्लान के रिस्क कम करने के लिए ज़रूरत से ज़्यादा डाइवर्सिफ़िकेशन करते हैं. डाइवर्सिफ़िकेशन ज़रूरी है लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा ऐसा करने पर फ़ायदे के बजाए भारी नुक़सान हो सकता है.
बिना लक्ष्य के निवेश करने से आपको नुक़सान हो सकता है. असल में, अगर आप अपना सारा पैसा इक्विटी में निवेश करते हैं और गिरावट के दौर में पैसों की ज़रूरत पड़ती है तो ख़ासा नुक़सान उठाना पड़ सकता है.
इमरजेंसी फ़ंड न बनाने से आपको भारी नुक़सान हो सकता है. आपात स्थिति के लिए आपके पास कोई इमरजेंसी फ़ंड तैयार न होने पर रिटायरमेंट के लिए की जा रही बचत से ही पैसा निकालना पड़ेगा.
पोर्टफ़ोलियो को साल में कम से कम दो बार ज़रूर चेक करें. इससे आपको पता रहेगा कि आपका निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहा और आपकी निवेश की स्ट्रेटज़ी में किसी बदलाव की ज़रूरत तो नहीं है.
इस लेख का उद्देश्य निवेश की जानकारियां देना है. ये निवेश की सलाह नहीं है.