शेयर बाज़ार में भारी गिरावट के समय कुछ निवेशकों के मन में अपने पैसे को बचाने का विचार आता है. इस सतर्कता के चक्कर में गिरावट के दौर में वे SIP के जरिए निवेश बंद कर देते हैं
और, जब बाजार में वापस तेजी का दौर आता है तो वे कमाई की उम्मीद में निवेश फिर से शुरू कर देते हैं. लेकिन क्या ऐसा करना फ़ायदेमंद होता है?
हालांकि, तेज़ी या गिरावट के आधार पर निवेश बंद करना या शुरू करना निवेशक के लिए किसी तरह से भी फ़ायदेमंद नहीं है, उलटा इससे नुकसान ही होता है.
गिरावट में निवेश बंद करने पर आप ख़रीद की क़ीमत के औसत को कम करने का मौका गंवा देते हैं. असल में, जब निवेश करना चाहिए, तो आप बाहर हो जाते हैं और मुनाफ़े का मौका गंवा देते हैं.
निवेशकों के ऐसे व्यवहार को हतोत्साहित करने के लिए ही तो SIP बनाई गई है. SIP के ज़रिए निवेश करने का मतलब है कि बाज़ार में गिरावट हो या तेज़ी, आप हर दौर में निवेश करते हैं.
SIP निवेशक के डर और लालच पर नियंत्रण रखती है. अगर आप SIP के ज़रिए निवेश कर रहे हैं तो सबसे ज़्यादा अनुशासन मायने रखता है न कि निवेश का समय.