गोल्ड ख़रीदकर घर में रखना रिस्क वाला है. लेकिन RBI की सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम, इस रिस्क को ख़त्म कर देती है.
SGB में, डिजिटल गोल्ड में निवेश करते हैं और फ़िजिकल गोल्ड लेने की ज़रूरत नहीं रहती. RBI आमतौर पर SGB स्कीम के तहत हर छह महीने में गोल्ड बॉन्ड की नई सीरीज़ जारी करती है.
चाहे आप प्राइमरी मार्केट से SGB ख़रीदें या सेकेंडरी मार्केट से, मेच्योरिटी पर, कैपिटल गेन टैक्स से छूट मिलती है.
हालांकि, अगर आप एक साल के भीतर बॉन्ड बेचते हैं, तो इससे मिलने वाला फ़ायदा आपकी इनकम माना जाता है और ऐसे में आपके इनकम टैक्स स्लैब के मुताबिक़ टैक्स लगेगा.
अगर आप एक साल के बाद अपना गोल्ड बॉन्ड बेचते हैं, तो इंडेक्सेशन बेनेफ़िट के हिसाब से कैपिटल गेन पर 20 फ़ीसदी टैक्स लगता है.
SGB पर इंडेक्सेशन बेनेफ़िट होता है. पर, अगर इरादा मेच्योरिटी तक बॉन्ड्स को रखने का है, तो इंडेक्सेशन की अहमियत कम हो जाती है. मेच्योरिटी पर कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता.