अगर आप इक्विटी में लगाते हैं, डेट में लगाते हैं, इसकी बजाय आप एक ऐसे फ़ंड में लगाते हैं जो कि इक्विटी और डेट दोनों में लगाता है एक हाइब्रिड फ़ंड और उसमें लगाया हुआ पैसा फ़ंड मैनेजर चाहे कितनी बार भी rebalance करे,

आपको कोई टैक्स नहीं देना है आप ख़ुद करेंगे तो डेट पर पूरा टैक्स देना पड़ेगा इक्विटी पर 12.5% देना पड़ेगा या 20% देना पड़ेगा

तो उससे भी आप बच पाते हैं तीसरी चीज़ जिससे कि बचना चाहिए कि यह सेक्टर फ़ंड, थीमैटिक फ़ंड, कम समय में अच्छा रिटर्न देने वाला और निवेशकों का तो शौक़ रहा है कि जो हाल-फ़िलहाल ज़्यादा अच्छा कर रहा है,

उसमें पैसा लगाएं, उसका पीछा करें और इस पीछा करने से सरकार आपके पीछे पड़ जाएगी टैक्स लेगी और मामूली से मुनाफ़े पर भी 12.5% कम हो जाएगा इन चीज़ों से बेचना, लॉन्ग टर्म orientation रखना, म्यूचुअल फ़ंड को गंभीरता से देखना

कि आप उसको चुन रहे हैं और काफ़ी सालों के लिए और ऐसे फ़ंड से बचिए जिसमें कि आपको बार-बार फेरबदल करना पड़े